Heeramandi Review: 200 करोड़ बजट, 6 'तवायफ' और 14 साल की मेहनत, देखें ऐसी है 'हीरामंडी'
Heeramandi: The Diamond Bazaar Review In Hindi: संजय लीला भंसाली का नाम याद करते ही क्या आपको बड़ा सेट, शाही परिवार और गहनों से लदी एक्ट्रेस याद आती हैं? क्या आपने देवदास, रामलीला और बाजीराव-मस्तानी जैसी ब्लॉकबस्टर पीरियड ड्रामा फिल्में देखी हैं? अगर आप इन फिल्मों को देखने के बाद भंसाली की 'हीरामंडी: द डायमंड बाजार' से ऐसी उम्मीदें रखते हैं तो शायद आपको थोड़ा निराश होना पड़ सकता है। 200 करोड़ रुपये के बजट में बनी लंबी-चौड़ी स्टारकास्ट वाली इस वेब सीरीज को बनाने का सपना भंसाली ने 14 साल पहले ही देख लिया था। अपने इस सपने को उन्होंने सच तो किया लेकिन उस एक्साइटमेंट में वो कई छोटी-छोटी कमियों को नजरअंदाज कर बैठे हैं।
आठ एपिसोड वाली हीरामंडी
'हीरामंडी: द डायमंड बाजार' में आठ एपिसोड हैं, जिनमें लाहौर के शाही महल के पीछे मौजूद उस मोहल्ले की कहानी को दिखाया गया है, जहां उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान से लड़कियों को उठाकर लाया जाता था और उन्हें नाचना-गाना सिखाया जाता था। इन तवायफों के डांस को देखकर मोहल्ले में कई नवाब आकर अपना दिल बहलाते थे। अंग्रेजों के समय में इस मोहल्ले को हीरामंडी बाजार-ए-हुस्न का नाम दिया गया। साथ ही रेड लाइट एरिया का दर्जा दे दिया गया।
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क्या है हीरामंडी की कहानी
हीरामंडी: द डायमंड बाजार की कहानी शुरू होती है दो तवायफ बहनों से जिनके नाम रेहाना और मल्लिका हैं। बड़ी बहन रेहाना शाही महल की सरपरस्त है तो वो अपनी छोटी बहन मल्लिका से उसकी औलाद छीन लेती है। वहीं मल्लिका अपनी बहन रेहाना से उसकी जिंदगी और शाही महल की गद्दी। दोनों की विरासत आगे बढ़ती है और पहुंचती है अगली पीढ़ी में जहां फरदीन खान और आलम बेग़ तक। इसके बाद खेल शुरू होता है साजिश और बगावत का। कहानी आगे बढ़ते हुए पहुंचती है नवाबों की बेवफ़ाई और अंग्रेजों की बदसलूकी पर जहां गद्दी के लिए सब कुछ कुर्बान करने की नौबत आ जाती है। आपस में रंजिश रखने वाला ये ट्रैक क्लाइमेक्स तक चलता है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो हीरामंडी का सेट देखकर आपको लगेगा कि ये संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज है, लेकिन स्टोरी टेलिंग वाला पार्ट काफी हद तक मिसिंग है। आखिरी के दो एपिसोड में आपको कुछ संतुष्ट होने का मौका मिलता है, जब अहसास होता है कि भंसाली ने कहानी को काफी हद तक अपने सिरे से कब्जे में ले लिया है।
स्टारकास्ट की एक्टिंग
हीरामंडी: द डायमंड बाजार की सिनेमैटोग्राफी ठीक-ठाक है। जिस तरह की खासियत की उम्मीद की जा रही थी वो रंग ओटीटी फॉर्मेट में नजर नहीं आया है। एक्ट्रेस के कैरेक्टर की बात करें तो मनीषा कोइराला ने अपने किरदार में जान डाल दी हैं। उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया कि ऐसे ही नहीं वो फिल्म इंडस्ट्री पर राज करती थीं। अदिति राव हैदरी और सोनाक्षी सिन्हा का काम भी ठीक है। बाकी स्टारकास्ट ने भी ठीक-ठाक काम किया है।