मैं मरूं तो...; क्या थी Junior Mehmood की आखिरी ख्वाहिश? अंतिम पलों में एक्टर Jeetendra ने पूरी की एक इच्छा
Veteran Child Artist Junior Mehmood Last Wish: 1970 के दशक में अपनी कॉमेडी और अनोखे कॉमिक अंदाज से दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोट पोट कर देने वाले जूनियर महमूद दुनिया में नहीं रहे। वे पिछले कई दिनों से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे और 8 दिसंबर की सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली। आखिरी पलों में उनकी हालत ऐसी हो गई थी कि वे किसी पहचान भी नहीं पाते थे, लेकिन शायद उन्हें अपने आखिरी वक्त के आने का अहसास हो गया था, तभी उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने से पहले अपनी आखिरी ख्वाहिश जाहिर की। अपने अजीज दोस्त सलाम काजी को अपनी आखिरी ख्वाहिश बताई। एक इच्छा तो एक्टर जितेंद्र और सचिन पिलगांवकर ने पूरी कर दी। वहीं उनकी दूसरी आखिरी ख्वाहिश भी यह दुनिया पूरी करेगी या नहीं, वक्त बताएगा।
क्या थी जूनियर महमूद की आखिरी ख्वाहिश?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जूनियर महमूद दुनिया से जाने से पहले अपने बचपन के दोस्त सचिन पिलगांवकर और एक्टर जितेंद्र से मिलना चाहते थे। जैसे ही दोनों एक्टर्स को यह पता चला, वे उनसे मिलते तुरंत पहुंचे। एक्टर जितेंद्र जूनियर महमूद से मिलने उनके घर पहुंचे, लेकिन वे उनकी हालत देखकर भावुक हो गए। वहीं सचिन पिलगांवकर भी जूनियर महमूद से मिलने आए। उन्होंने एक्टर की सलामती की दुआ मांगी और कहा कि जूनियर महमूद की हालत देखकर वे काफी दुखी हैं। हालांकि जूनियर महमूद ने उन्हें नहीं पहचाना, लेकिन दोनों एक्टरों ने उनकी ख्वाहिश जरूर पूरी की। कॉमेडियन जॉनी लीवर और मास्टर राजू भी उनका हाल चाल जानने आए। चारों एक्टरों ने जूनियर महमूद के साथ अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी शेयर की थीं।
जूनियर महमूद चाहते थे कि दुनिया उन्हें याद रखे
जूनियर महमूद ने एक और ख्वाहिश जाहिर की थी। जूनियर महमूद को कॉमेडी करना अच्छा लगता था और यही शौक उनकी प्रोफेशन बना, जिसमें उन्होंने काफी शोहरत कमाई। वे अपने करियर में स्टारडम की ऊंचाइयों पर पहुंचे। बॉलीवुड के सबसे महंगे चाइल्ड आर्टिस्ट बने। 1970 के दशक के मशहूर एक्टरों में उनका नाम शामिल था। उन्होंने अपने करियर और अपने शोक को पूरी तरह जिया। इसलिए वे चाहते थे कि दुनिया उन्हें याद करती रहे। उन्होंने अपने दोस्त काजी से कहा कि मेरी दिली ख्वाहिश है कि जब मैं मरूं तो दुनिया कहे कि बंदा बहुत अच्छा था। 4 आदमी भी इतना कह दें तो अपनी जीत हो गई। जिंदगी पूरी हो गई समझो। एक अच्छे इंसान के तौर पर दुनिया उन्हें याद रखे। उनके दोस्त काजी कहते हैं कि जूनियर महमूद वाकई काफी जिंदादिल इंसान थे।
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