K. Shivaram Passes Away: जाने माने एक्टर से IAS ऑफिसर तक, ऐसा रहा के. शिवराम का करियर
K. Shivaram Passes Away: कन्नड़ फिल्मों के मशहूर एक्टर और पूर्व IAS ऑफिसर के. शिवराम (K. Shivaram) का निधन हो गया है। 29 फरवरी को 70 साल की उम्र में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, के. शिवराम पिछले कुछ दिनों से स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। उनका इलाज बेंगलुरु के एचसीजी अस्पताल में चल रहा था, जहां वह आईसीयू में वेंटिलेटर पर थे। एक्टर के निधन पर कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर एक्टर के फैंस और सेलेब्स दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
कौन थे के. शिवराम
के. शिवराम फिल्मों के साथ ही राजनीति में अपने योगदान के लिए जाने जाने जाते थे। उनका जन्म अप्रैल, 1953 को रामानगर जिले के उरुगहल्ली गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूलिंग मल्लेश्वरम के सरकारी हाई स्कूल से पूरी की। साल 1972 में के. शिवराम ने राज्य सरकार में अपनी पेशेवर यात्रा शुरू की। 1973 में पुलिस विभाग की खुफिया एजेंसी में एंट्री करने के साथ ही के. शिवराम ने बीए और एमए की डिग्री हासिल की थी।
जब के. शिवराम ने रचा इतिहास
के. शिवराम ने 1985 में पुलिस उपाधीक्षक की भूमिका निभाते हुए कर्नाटक प्रशासनिक सेवा (KAS) का एग्जाम क्लीयर किया था, जिसके बाद उन्होंने कन्नड़ में यूपीएससी परीक्षा पास की। इस सफलता को पाने वाले पहले व्यक्ति बनकर के. शिवराम ने इतिहास रच दिया था।
यह भी पढ़ें: ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ का टीजर रिलीज, Taapsee Pannu का दिखा नया अंदाज, जानें कब होगी रिलीज
ऐसा रहा फिल्मी करियर
के. शिवराम ने सिर्फ पुलिस उपाधीक्षक की भूमिका ही नहीं निभाई बल्कि फिल्मों में भी काम किया था। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और नागथिहल्ली चन्द्रशेखर द्वारा निर्देशित हिट 'बा नल्ले मधुचंद्रके' से अपनी अलग पहचान बनाई थी। यह फिल्म साल 1993 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म के बाद के. शिवराम ने कन्नड़ की कई फिल्मों में काम किया और अपनी अलग पहचान बनाई थी। फैंस भी उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करते थे।
के. शिवराम का राजनीतिक करियर
साल 2013 में के. शिवराम ने IAS के पदभार से सेवानिवृत्त होकर राजनीति में एंट्री की थी। कई साल तक एक्टर कांग्रेस पार्टी से जुड़े और बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में विवादों में घिरने के बाद भी अपनी राजनीतिक यात्रा जारी रखी और भाजपा की राज्य कार्यकारी समिति में बराबर का योगदान दिया था।