वो 'चरण सेवा'... जिसकी आड़ में Jadunathjee Maharaj ने रचा ऐसा स्वांग, बहू-बेटियों को बनाया 'जूठन'
Maharaj, Jadunathjee Maharaj: हाल ही में नेटफ्लिक्स पर आमिर खान के बेटे जुनैद खान की फिल्म 'महाराज' रिलीज हुई है। इस फिल्म की कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है, जो आज से तकरीबन 162 साल पुरानी है। ना सिर्फ फिल्म 'महाराज' बल्कि इसी रियल स्टोरी पर आधारित है 'ऐतिहासिक महाराज मानहानि केस'। ये केस उस समय के एक महाराज ने महान समाज सुधारक 'करसनदास मूलजी' पर किया था।
'अंधविश्वास की हदें'
दरअसल, करसनदास एक ऐसे इंसान थे, जो सच्चाई की राह पर चलते थे और जब उन्हें पता लगा कि धर्म और आस्था के नाम पर 'अंधविश्वास की हदें' पार की जा रही हैं, तो उन्होंने आवाज उठाई। इस आवाज की गूंज पहुंची 'चरण सेवा' जैसी कुप्रथा तक। 'चरण सेवा'... हां, वही 'चरण सेवा' जिसके नाम पर धर्म के रक्षक ही बन गए 'भक्षक'। आखिर क्या है ये 'चरण सेवा'?
'चरण सेवा' क्या?
हर इंसान की अपने ईश्वर और धर्म के प्रति आस्था होती है। सभी अपने भगवान पर विश्वास करते हैं, लेकिन जब ये विश्वास, अंधविश्वास में बदल जाए तो 'चरण सेवा' जैसी कुप्रथाओं का ना सिर्फ जन्म होता है बल्कि इसके नाम पर सौदा भी किया जाता है, जो 'महाराज' ने बखूबी किया। किसी इंसान का भक्ति रस में डूबना गलत नहीं है, लेकिन ये जानते हुए भी कि वो भक्ति नहीं बल्कि सौदा है फिर भी अगर वो उस पर आंख बंद करके भरोसा करें, तो भला कोई 'महाराज' क्यों पीछे हटेगा?
विश्वास बन गया अंधविश्वास
जी हां, 'चरण सेवा' के नाम पर धर्म के ठेकेदार ही महिलाओं का शोषण करने लगे। 'चरण सेवा' को भगवान के दर्शन से जोड़कर लोगों को गुमराह किया जाने लगा और इस तरह विश्वास बन गया अंधविश्वास। ऐसा नहीं है कि किसी 'महाराज' ने किसी महिला के साथ जोर-जबरदस्ती की, लेकिन आस्था के नाम पर 'चरण सेवा' और 'चरण सेवा' के नाम पर महिलाओं का शारीरिक शोषण... यही है 'चरण सेवा', जिसमें महिलाओं को बलि चढ़ाकर 'महाराज' ने अपनी वासना शांत की।
कैसे हुई अंधविश्वास की हद पार?
अब भई जब कोई इंसान किसी पर आंख बंद करके भरोसा कर रहा है, वो भी भगवान के नाम पर, तो भला कौन भक्त इस पर शक करेगा। उस समय के लोगों का भी कुछ ऐसा ही हाल था। सब भक्तिरस में इस कदर डूबे थे कि किसी को सच्चाई ही दिखाई नहीं देती थी या फिर यूं कहे कि धर्म के ठेकेदार ने कैसे सौदा किया, इसकी भनक किसी को नहीं लगी। खैर, जो भी हो, लेकिन जब तक इस देश में करसनदास मूलजी जैसे सुधारक हैं, तब तक कोई कितना भी, कुछ भी क्यों ना कर लें, जीत सच्चाई की ही होगी।
अच्छा इंसान बनने का माध्यम है धर्म
आज का समाज भले ही मॉर्डन जमाने के नाम से मशहूर हो गया है, लेकिन ये हमेशा सत्य था, सत्य है और सत्य रहेगा कि धर्म भगवान बनने का नहीं अच्छा इंसान बनने का माध्यम है और अगर किसी को भी ईश्वर को पाना है, तो उसके लिए किसी 'हवेली, महाराज या फिर चरण सेवा जैसी' चीजों की जरूरत नहीं है। सच्चे मन से जो ईश्वर की भक्ति करता है, भगवान उसे जरूर मिलते हैं और यही सत्य है।
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