चीनी रॉकेट की नाकामी एलन मस्क के लिए बनी वरदान! इंडोनेशिया में कैसे बढ़ा SpaceX का वर्चस्व
How Elon Musk Won Against China In Indonesia in Hindi : अप्रैल 2020 में इंडोनेशिया में चीन के एक रॉकेट में लॉन्चिंग के तुरंत बाद कुछ गड़बड़ी आ गई थी। इसके चलते इंडोनेशिया का 220 मिलियन डॉलर की नुसनतारा-2 सैटेलाइट तबाह हो गई थी। यह इस देश के लिए इसके कम्युनिकेशन नेटवर्क को मजबूत करने की कोशिशों को एक बहुत बड़ा झटका था। लेकिन चीनी रॉकेट की इस असफलता एक शख्स के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी।
एलन मस्क को मिला बड़ा मौका
चीन के रॉकेट को फेल होते देख इस मौके को भुनाया स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने। दरअसल, इंडोनेशिया ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट स्थापित करने के लिए चीन की कंपनी चाइना ग्रेट वॉल इंडस्ट्री कॉर्प (CGWIC) को चुना था। इस कंपनी ने इंडोनेशिया को सस्ती फाइनेंसिंग और इसके अंतरिक्ष अभियानों के लिए विस्तृत सपोर्ट का वादा और चीन की ताकत की बात करते हुए यह काम हासिल किया था।
चीन से निराश हुआ इंडोनेशिया
रिपोर्ट्स के अनुसार इस मामले की जानकारी रखने वाले जकार्ता के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार चीनी राकेट में आई गड़बड़ी इंडोनेशिया के लिए एक टर्निंग प्वाइंट की तरह थी। इसके बाद दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इंडोनेशिया ने चीनी स्पेस कॉन्ट्रैक्टर्स के स्थान पर एलन मस्क की कंपनियों की मदद लेने का फैसला किया।
आज स्पेसएक्स का तीसरा लॉन्च
नुसंतारा उस समय चीन की कंपनी की ओर से किया गया दूसरा सैटेलाइट लॉन्च था और स्पेसएक्स भी तब इतने ही सैटेलाइट लॉन्च कर चुकी थी। इसकी असफलता के बाद से स्पेसएक्स दो इंडोनेशियाई सैटेलाइट लॉन्च कर चुकी है जबकि चीन ने एक भी नहीं किया है। उल्लेखनीय है कि स्पेसएक्स आज यान मंगलवार को तीसरा सैटेलाइट लॉन्च करने जा रही है।
चीन से आगे कैसे निकले मस्क
रिपोर्ट्स के अनुसार स्पेसएक्स के चीन से आगे निकलने के पीछे के कारणों में लॉन्चिंग पर भरोसे का कॉम्बिनेशन, सस्ते रियूजेबल रॉकेट्स और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के एलन मस्क के साथ अच्छे निजी संबंध शामिल रहे। साल 2022 में इन दोनों के बीच एक बैठक हुई थी। इस बैठक में स्पेसएक्स को इसकी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए रेग्युलेटरी अनुमति दी गई थी।
इंडोनेशिया व चीन का क्या रुख
इंडोनेशिया की सरकार के अधिकारियों का कहना है कि स्पेसएक्स एक बार भी हमारी सैटेलाइट लॉन्च करने में असफल नहीं रही है। इसके अलावा अप्रैल 2020 की घटना ने भी जकार्ता के लिए एक बार फिर से चीनी कंपनी के पास जाने का विकल्प खत्म कर दिया था। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर कहा है कि इसकी स्पेस कंपनियां इंडोनेशिया के साथ विभिन्न स्वरूपों में सहयोग कर रही हैं।
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