Explainer: Jobs और कम इनकम वाले परिवारों को किस तरह प्रभावित करती है Heatwave?
Electricity Demand Heatwave Impact: भीषण गर्मी के कारण कई इलाकों में झुलसने जैसी स्थिति बनी हुई है। राजधानी दिल्ली में तापमान 52.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। उत्तर पश्चिम दिल्ली में मुंगेशपुर मौसम केंद्र ने लगभग ढाई बजे बुधवार को भारत का सबसे गर्म दिन दर्ज किया है। बढ़ते तापमान के कारण बिजली की डिमांड बढ़ गई है। तापमान से बचने के लिए लोग एसी का सहारा ले रहे हैं। राजधानी में बिजली की डिमांड 8302 मेगावॉट हो चुकी है। दिल्ली में अधिक गर्मी का कारण उत्तर और मध्य भारत में लू का चलना है। रविवार को राजस्थान के फलौदी में भी टेंपरेचर 50 डिग्री चला गया था। जो जून 2019 के बाद अधिक है।
पहाड़ों में भी दिख रहा लू का असर
चुरू में भी 50.8 डिग्री तापमान दर्ज किया गया है। गर्मी पहाड़ी इलाकों हिमाचल प्रदेश, असम और अरुणाचल में भी दिख रही है। 25 मई को वोटिंग के दौरान लोगों को गर्मी के कारण काफी परेशान होना पड़ा। यूपी, दिल्ली और हरियाणा में 45 डिग्री पारे के बीच वोटिंग करनी पड़ी। मतदान केंद्रों पर लोगों को असुविधाओं से दो चार होना पड़ा। अभी बिहार, बंगाल, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, यूपी समेत कई राज्यों में तापमान 40 या 45 डिग्री से ऊपर दर्ज हो रहा है।
विभाग की ओर से रेड अलर्ट जारी किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि लू के कारण बीमारियों का खतरा बढ़ा है। सभी उम्र के लोगों का बचाव जरूरी है। भारत में अभी गर्मी की स्थिति बनी रहेगी। लोगों को रात के समय भी राहत नहीं मिल रही है। दिल्ली एनसीआर में कंक्रीट का जंगल हीट चैंबर जैसा हो गया है। सौर विकिरण को अवशोषित करने और अधिक पेड़ लगाने से ही समस्या का हल होगा। कम आय वाले परिवारों के पास गर्मी से बचाव के संसाधन कम हैं। इन लोगों को बिजली भी कम मिलती है। इन लोगों के घरों का डिजाइन, खराब वेंटिलेशन भी गर्मी के प्रति अनुकूल स्थित बनाते हैं।
कामगारों के लिए सही समय पर लिया गया फैसला
वहीं, बाहरी कामगारों, मजदूरों को हीट स्ट्रोक का खतरा अधिक रहता है। दिल्ली में एलजी वीके सक्सेना की ओर से 12 से 3 बजे के बीच कामगारों को राहत दी गई है। जब तक 40 डिग्री से नीचे टेंपरेचर नहीं जाता, काम के बजाय उनको राहत मिलेगी। लू बच्चों के लिए हानिकारक है। दिल्ली की बात करें, तो 15 फीसदी स्कूलों के पास बिजली की कमी है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक यही हाल रहा, तो उत्पादकता में गिरावट आएगी। जिसके कारण लोगों की नौकरी भी जा सकती है। दुनिया में 80 मिलियन वैश्विक नौकरियां हैं। अकेले भारत में 34 मिलियन नौकरियों को खतरा है। वहीं, गर्मी के कारण पानी का स्तर भी लगातार नीचे जा रहा है। जिसको बचाने की जरूरत है।