Explainer: क्यों अकेले चुनाव लड़ना चाहती हैं मायावती? गठबंधन को लेकर कैसा है बसपा सुप्रीमो का रुख?
Mayawati's BSP To Contest Lok Sabha Election Solo : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने सोमवार को ऐलान किया कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में अकेले उतरेगी। पिछला लोकसभा चुनाव गठबंधन के साथ मिलकर लड़ने वाली मायावती ने इस साल विपक्षी गठबंधन से दूर रहने का फैसला किया है। उन्होंने अपने 68वें जन्मदिन के मौके पर लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बात कही।
हालांकि, चुनाव के बाद गठबंधन में शामिल होने की संभावना से उन्होंने इनकार नहीं किया। बता दें कि उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती अभी तक न तो भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) और न ही कांग्रेस की अगुवाई वाले I.N.D.I.A. में शामिल हुई हैं, जबकि लोकसभा चुनाव कुछ महीने दूर ही बचे हैं। जानिए मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला क्यों लिया और लोकसभा चुनावों में बसपा का प्रदर्शन कैसा रहा है।
गठबंधन के साथ हमेशा नुकसान हुआ
मायावती का कहना है कि चुनाव से पहले किसी गठबंधन का हिस्सा न बनने का निर्णय इसलिए किया गया है क्योंकि गठबंधनों के साथ पार्टी का अनुभव कभी भी अच्छा नहीं रहा है। इससे पार्टी को कभी फायदा नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा कि हमने गठबंधनों के साथ नुकसान ज्यादा उठाया है। इस कारण से देश के कई राजनीतिक दल बसपा के साथ गठबंधन करना चाहते हैं। लेकिन आगामी चुनाव हमारी पार्टी अकेले ही लड़ेगी।
चुनाव के बाद गठबंधन कर सकते हैं
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि चुनाव के बाद गठबंधन के बारे में सोचा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़े समुदायों, दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों के सपोर्ट से हमने 2007 में उत्तर प्रदेश में बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। इसीलिए हमने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। हम ऐसे लोगों से दूर रहेंगे जो जातिवादी हैं और सांप्रदायिकता में भरोसा रखते हैं। हम ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए मेहनत करेंगे।
कभी यूपी में महत्वपूर्ण पार्टी थी BSP
1990 से 2000 के बीच बसपा उत्तर प्रदेश की एक अहम राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इसका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा के खाते में केवल 12.8 प्रतिशत वोट आए ते। यह पिछले तीन दशक का सबसे कम प्रतिशत था। वहीं, साल 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा को सबसे ज्यादा 30.43 प्रतिशत वोट मिले थे। साल 2002 के चुनाव के मुकाबले यह 7.37 फीसद ज्यादा था।
लोकसभा चुनावों में कैसा रहा प्रदर्शन
साल 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा और सपा ने मिलकर लड़ा था। इसमें बसपा के खाते में 10 सीटें आई थीं। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान चली मोदी लहर में बसपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिल पाई थी। इससे पहले 2009 के चुनाव में पार्टी ने अपने लोकसभा चुनाव इतिहास में सबसे ज्यादा 21 सीटें पर जीत दर्ज की थी। बता दें कि बसपा ने अपना पहला लोकसभा चुनाव साल 1989 में लड़ा था जब उसे चार सीटों पर जीत मिली थी।
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