Solar Eclipse: 2 अक्टूबर को कितनी होगी सूर्य ग्रहण की रफ्तार? कहां दिखेगा अद्भुत नजारा? जानिए हर एक बात
Solar Eclipse On 2nd October : हर साल होने वाले जिस सूर्य ग्रहण का इंतजार हो रहा था वह 2 अक्टूबर को होने वाला है। यह सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर की राहत 9.13 बजे शुरू होगा और अगले दिन दोपहर 3.17 बजे संपन्न होगा। इस दौरान चंद्रमा सूर्य के मुकाबले छोटा दिखेगा और 'रिंग ऑफ फायर' का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। यानी कि एक अंधेरे केंद्र के चारों और सूर्य की रोशनी दिखाई देगी जो बेहद शानदार नजारा बनाएगी। इस रिपोर्ट में जानिए इस सूर्य ग्रहण की रफ्तार कितनी होगी और कहां से इस अद्भुत खगोलीय घटना को देखा जा सकेगा।
कितनी रफ्तार से होगा ग्रहण?
आगामी सालाना सूर्य ग्रहण के दौरान धरती पर चांद की छाया की रफ्तार अलग-अलग जगहों के हिसाब से अलग-अलग होगी। कुछ इलाकों में इसकी रफ्तार 1 करोड़ किलोमीटर प्रतिघंटे से भी ज्यादा रहेगी तो कुछ इलाकों में यह गति 2057 किलोमीटर प्रतिघंटे के आस-पास रहेगी। चंद्रमा की छाया उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर मूव करेगी। धरती के कर्वेचर और चंद्रमा की बदलती दूरी व ऑर्बिटल स्पूड की वह से छाया की वेलॉसिटी अलग-अलग इलाकों में नाटकीय तरीके से अलग-अलग रहेगी। ग्रहण की शुरुआत सूर्योदय के साथ और समापन सूर्यास्त के साथ होगा।
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चंद्रमा की छाया सबसे पहले प्रशांत महासागर में स्थित हवाई के दक्षिणी हिस्से को छुएगी। यहां इसकी रफ्तार करीब 85 लाख किलोमीटर प्रतिघंटे की होगी। साउथ जॉर्जिया के आइलैंड के पास जब यह धरती को छोड़ेगा तब इसकी रफ्तार 1 करोड़ किलोमीटर प्रतिघंटे के आस-पास रहने की उम्मीद है। हालांकि, इस अत्यधित स्पीड का कोई खास मतलब नहीं होगा क्योंकि ये तब होगी जब चांद की छाया धरती को छुएगी और धरती को छोड़ेगी। यहां ध्यान देने वाली बात है कि सूर्य ग्रहण के दौरान बनने वाला रिंग ऑफ फायर की स्थिति हर जगह से नहीं देखी जा सकेगी।
कहां पर दिखेगा ये शानदार नजारा?
जब ग्रहण क्षितिज से दिखेगा तब इसकी रफ्तार काफी कम होगी। सूर्योदय के समय इसकी गति 8258 किलोमीटर प्रतिघंटे और सूर्यास्त के समय 14,312 किलोमीटर प्रतिघंटे के आस-पास होगी। ग्रहण की सबसे कम रफ्तार प्रशांत महासागर में ईस्टर आइलैंड के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में रहेगी। जहां रिंग ऑफ फायर को 7 मिनटर 25 सेकंड तक देखा जा सकेगा। इतनी कम रफ्तार इसलिए रहेगी क्योंकि उस इलाके में दिन के बीच में चंद्रमा की छाया लगभग धरती के लंबवत यानी परपेंडिकुलर रहेगी। यहां से सूर्य ग्रहण के इस अद्भुत नजारे को आसानी से देखा जा सकेगा।