Deep Web vs Dark Web: दोनों में क्या है अंतर और कौन सा ज्यादा 'खतरनाक'?
Dark Web And Deep Web : अगर आप कंप्यूटर पर काम करते हैं या इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपने डार्क वेब और डीप वेब जैसे नाम जरूर सुने होंगे। लेकिन क्या आपको ये पता है कि ये क्या हैं? ऑनलाइन डाटा प्राइवेसी और हैकिंग से बचने के लिए दोनों के बारे में पता होना जरूरी है। डीप वेब का इस्तेमाल मुख्य रूप से निजी जानकारियों और डाटाबेस को सुरक्षित रखने के साथ-साथ कुछ सर्विसेज को एक्सेस करने के लिए किया जाता है। वहीं, डार्क वेब का इस्तेमाल अधिकतर गैरकानूनी गतिविधियों में होता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल मिलिट्री या पुलिस इन्वेस्टिगेशन, पॉलिटिकल प्रोटेस्ट्स और एनॉमिनस इंटरनेट ब्राउजिंग के लिए भी किया जाता है।
क्या होता है डीप वेब?
डीप वेब से मतलब ऐसे वेब पेजेस से है जिन्हें सर्च इंजन्स ने इंडेक्स नहीं किया है। इंडेक्सिंग न करना कई सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए काफी अहम होता है है क्योंकि इससे निजी जानकारी को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। दूसरे शब्दों में यह वेब या इंटरनेट का ऐसा हिस्सा है जिसे सर्च इंजन की मदद से एक्सेस नहीं किया जा सकता। इसमें पासवर्ड प्रोटेक्टेड वेबसाइट्स से लेकर प्राइवेट इंट्रानेट्स, ऐकेडेमिक कंटेंट जैसी चीजें हो सकती हैं। पूरे वेब में 99 फीसदी डीप वेब में आता है और बड़े स्तर पर आम यूजर इसे एक्सेस नहीं कर सकते।
डार्क वेब क्या होता है?
डार्क वेब असल में डीप वेब का ही एक छोटा सा हिस्सा है। इसे एक्सेस करने के लिए स्पेशल ब्राउजर की जरूरत पड़ती है। डार्क वेब पर ऐसी एन्क्रिप्टेड वेबसाइट्स होस्ट की जाती हैं जिन्हें स्पेसिफिक ब्राउजर से ही एक्सेस किया जा सकता है। डार्क वेब पर यूजर एनॉमिनस रहता है और ऐसी वेबसाइट्स यूज कर सकता है जिन्हें आम तौर पर एक्सेस नहीं किया जा सकता या फिर आम लोगों को उनके बारे में पता ही नहीं होता। इसका इस्तेमाल अक्सर गैरकानूनी गतिविधियों में होता रहता है। इसके अलावा डार्क वेब पर कई प्रतिबंधित वस्तुएं भी मिल सकती हैं।
इन बातों का ध्यान रखना जरूरी
डीप वेब, डार्क वेब की तुलना में काफी बड़ा है। साल 2001 में अनुमान लगाया गया था कि डीप वेब का आकार सरफेस वेब से 400-550 गुना बड़ा है और इसमें लगातार इजाफा होता जा रहा है। वहीं, डार्क वेब काफी छोटा है और इस पर केवल कुछ हजार वेबसाइट्स हैं। डार्क वेब पर ब्राउजिंग करते समय सावधान रहने की जरूरत रहती है। हैकर्स और साइबर क्रिमिनल्स इसका खूब इस्तेमाल करते हैं। इसलिए डार्क वेब एक्सेस करते समय सतर्क रहना काफी जरूरी होता है।
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