जीभ की तस्वीर से पता चलेगा आपको कौन-सी बीमारी, आ गया सबसे खास AI मॉडल
New AI Model can Detect Diseases by Scanning Tongue Photos: OpenAI ने जब से ChatGPT को पेश किया है तब से कई बड़ी टेक कंपनियां AI की इस रेस में दौड़ रही हैं। गूगल और माइक्रोसॉफ़्ट पहले ही अपने AI मॉडल पेश कर चुके हैं। वहीं हाल ही में मेटा ने अपने इंस्टाग्राम, फेसबुक, व्हाट्सएप पर AI फीचर्स को ऐड किया है। जिसे देख कर अब ऐसा लग रहा है कि आने वाला समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI का होने वाला है।
इतना ही नहीं AI जल्द ही आपकी जीभ की तस्वीर से ये भी बताएगा कि आपको कौन सी बीमारी है। जी हां, इराक और ऑस्ट्रेलिया के Researchers ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने एक ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक तैयार की है जो सिर्फ जीभ की तस्वीर देखकर कई बीमारियों का पता लगा सकती है। इस तकनीक ने टेस्टिंग में 98% सटीकता हासिल की है। आइए जानते हैं कैसे काम करेगी ये तकनीक...
कैसे काम करती है यह तकनीक?
प्राचीन ज्ञान का आधुनिक इस्तेमाल
जीभ देखकर बीमारियों का पता लगाने का विचार प्राचीन चीन से आया है। उस समय, डॉक्टर जीभ के रंग और बनावट को देखकर बीमारी का अंदाजा लगाते थे। इस नए AI मॉडल ने इस प्राचीन ज्ञान को आधुनिक तकनीक से जोड़ा है। इस मॉडल को 5,260 से अधिक जीभ की तस्वीरों पर टेस्ट किया गया है। इन तस्वीरों को विभिन्न बीमारियों से जुड़ा हुआ लेबल किया गया था।
रंग और बनावट से पता चलेगी बीमारी
AI मॉडल जीभ के रंग और बनावट में फर्क को भी पहचान सकता है। यह अलग-अलग रंग में जीभ को पहले अपने सिस्टम में चेक करना है और फिर बीमारी का पता लगाता है। उदाहरण के लिए मधुमेह में जीभ पीली, कैंसर में बैंगनी और स्ट्रोक में जीभ लाल हो सकती है। इस AI तकनीक को देखकर लग रहा है कि अब डॉक्टर की जॉब भी खतरे में है।
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क्या हैं इस तकनीक के फायदे?
- यह टेक्नोलॉजी 98% तक सटीक है।
- यह टेक्नोलॉजी कुछ ही सेकंड में बीमारी का पता लगा सकती है।
- यह टेक्नोलॉजी ट्रेडिशनल तरीकों की तुलना में बहुत सस्ती है।
- इस टेक्नोलॉजी का यूज करने के लिए किसी खास डिवाइस की जरूरत नहीं होती। आप बस अपने स्मार्टफोन से अपनी जीभ की तस्वीर ले सकते हैं और बीमारी का पता लगा सकते हैं।
इस टेक्नोलॉजी में क्या है कमियां?
- इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में प्राइवेसी एक बड़ी चुनौती है।
- इतना ही नहीं कैमरे की क्वालिटी भी इस टेक्नोलॉजी की सटीकता को एफेक्ट कर सकती है।
- शोधकर्ताओं का मानना है कि भविष्य में इस तकनीक का इस्तेमाल स्मार्टफोन ऐप के रूप में किया जा सकता है। इस तरह लोग घर बैठे ही अपनी सेहत की जांच कर सकेंगे।