Sona Baby से कैसे होगी अब WhatsApp पर प्राइवेट बात? कंपनी कह रही है भारत को अलविदा!
WhatsApp Message Encryption Feature: "व्हाट्सएप" एक ऐसा प्लेटफॉर्म माना जाता है जो दूर-दराज बैठे करीबियों को करीब लाने का काम कर सकता है। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से दो प्यार करने वाले बेफ्रिक होकर बातचीत करते हैं। जबकि, कई विभाग के लोग भी इसके माध्यम से चैटिंग या कॉल करना पसंद करते हैं। इतना ही नहीं, तस्वीर, वीडियो या कोई दस्तावेज शेयर करना हो तो इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाता है।
लोगों के बीच व्हाट्सएप को इस्तेमाल करने के भरोसे की वजह, एक मात्र कंपनी की ओर से दिए जाने वाले सेफ्टी फीचर्स हैं। ये प्लेटफॉर्म अपने यूजर्स को एंड टू एंड एन्क्रिप्शन की सुविधा देता है। वहीं, अब इस फीचर को हटाने के लिए भारतीय सरकार की ओर से मांग की जा रही है।
ऐसे में व्हाट्सएप का कहना है कि वो मैसेज के एन्क्रिप्शन को खत्म करने के लिए कहा गया तो वो हमेशा के लिए भारत से जा सकते हैं, लेकिन वो इस फीचर को अपने प्लेटफॉर्म से नहीं हटाएंगे। आइए जानते हैं कि आखिर एंड टू एंड एन्क्रिप्शन फीचर क्या है और इसे हटाने के लिए क्यों मांग की जा रही है?
WhatsApp End to End Encrypted क्या है?
व्हाट्सएप के कई फीचर्स में से एक एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन है। ये फीचर सुनिश्चित करता है कि व्हाट्सएप यूजर्स के मैसेज और कॉल का कोई डेटा किसी और तक नहीं जा सकेगा। आपकी बातचीत सिर्फ आप और सामने वाले यूजर्स तक रहेगी। यहां तक कि व्हाट्सएप भी आपके और आपके दोस्त की बात न तो पढ़ सकता है और न ही सुन सकता है। हालांकि, इस फीचर्स को अगर कंपनी हटा देती है तो आपकी चैट्स और कॉल को ट्रेस किया जा सकता है।
IT Rules 2021 के तहत सरकार का आदेश
दरअसल, भारत सरकार ने साल 2021 में सूचना टेक्नोलॉजी के तहत कई नियम बनाए थे। इस नए नियम के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को जानकारी देनी होगी कि मैसेज भेजने वाला कौन है? नियम के मुताबिक कोर्ट के आदेश पर मैसेज भेजने वाले की पहचान के लिए कंपनी को डेटा देना होगा। हालांकि, इस पर व्हाट्सएप और उसकी मूल कंपनी Meta का कहना है कि वो ऐसा नहीं कर सकते हैं। कंपनी के अनुसार उनके प्लेटफॉर्म पर मैसेज एन्क्रिप्टेड होते हैं, जिसके तहत सेंडर और रिसीवर के बीच ही चैट्स रहती है।
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WhatsApp क्यों है IT Rules 2021 के खिलाफ?
भारत सरकार के सूचना टेक्नोलॉजी 2021 के नियम का पालन करने के लिए व्हाट्सएप ने मना कर दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस नियम का पालन करने के लिए कंपनी को अपने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को खत्म करना होगा। इस फीचर को हटाकर वो अपनी खासियत को कम नहीं करना चाहते हैं। कंपनी का कहना है कि एन्क्रिप्शन को खत्म करने से उनकी प्राइवेसी खतरे में आ सकती है। इससे सेंडर और रिसीवर की प्राइवेसी को भी खतरा हो सकता है।
मेटा ने हाई कोर्ट में मांग करते हुए कहा है कि भारतीय सरकार द्वारा बनाए गए धारा 4(2) को असंवैधानिक ऐलान किया जाए। कंपनी के अनुसार ये नियम आईटी रूल्स के खिलाफ हैं और गैर-कानूनी हैं। इसके अलावा कंपनी का ये भी कहना है कि वो नहीं चाहते हैं कि कानून का पालन न करने पर उन पर किसी तरह का कोई जुर्माना न लगे। इससे यूजर्स की प्राइवेसी के अधिकार छिन सकते हैं।
क्या है भारत सरकार का कहना?
इस मामले पर भारतीय सरकार ने कहा है कि इस नियम को लाने के पीछे की वजह नफरत फैलाने और फर्जी खबरे रोकना है और इससे ये पता करना है कि मैसेज भेजने की शुरुआत किसने की है। इसलिए सरकार का कहना है कि अगर कंपनी एन्क्रिप्शन को खत्म करेगी, तभी ये जानकारी मिल सकेगी कि मैसेज किसने भेजा है और कहां से वायरल हुआ है।
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