आयुष्मान कार्ड से डॉक्टरों की लूट का आरोप; अस्पताल में हंगामा, गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ने दिए जांच के आदेश
Gujarat (Thakur Bhupendra Singh): अहमदाबाद के एसजी हाईवे पर राजपथ क्लब के सामने ख्याति मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। निजी अस्पताल ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) का पैसा लेने के लिए एक साथ 19 लोगों के दिल की बीमारी का इलाज किया।
कुछ ऐसे मरीज थे, जिनको ऑपरेशन की जरूरत नहीं थी, लेकिन फिर भी उनका इलाज किया गया। इस पूरी घटना में 2 की मौत भी हो गई। मृतकों के परिजन का आरोप है की लापरवाही के कारण स्टेंट लगाने के बाद दोनों मरीजों की मौत हुई है।
क्या है पूरा मामला
मामला कड़ी तहसील के बोरिसाना गांव का है जहां एक स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किया गया,जिसका लाभ लेने आए कुछ मरीजों को ब्लॉकेज होने की बात कर डॉक्टर ने स्टेंट लगाने का सुझाव दिया। इसके लिए अहमदाबाद के ख्याति अस्पताल में करीबन 19 मरीजों को लाया गया था।
रिपोर्ट के बाद 7 मरीजों के ऑपरेशन कर स्टेंट डाले गए जिसमें से महेश भाई बारोट, नागजी भाई सेनमा नाम के दो मरीजों की स्टेंट लगाने के बाद मौत हो गई। परिजनों की मानें तो परिवार को बिना बताए सर्जरी कर दी गई। ये इलाज उसी का हुआ जिसके पास आयुष्मान कार्ड था। इसके अलाव अस्पताल प्रशासन ने आयुष्मान कार्ड से पैसे भी काटे।
जांच के आदेश
मरीजों की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा फुट पड़ा और अस्पताल में तोड़फोड़ कर दी, लेकिन इन सब के बीच इलाज करने वाले तमाम डॉक्टर फरार हो गए। जानकारी के मुताबिक, ख्याति हॉस्पिटल में 19 लोगों की एंजियोग्राफी हुई। वहीं, 7 मरीजों की एंजियोप्लास्टी की गई। जिसमें इलाज के बाद 2 लोगों की मौत हो गई है।
बहरहाल, इस मामले में हंगामा बढ़ता देख अब जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की इकाई ख्याति हॉस्पिटल पहुंची और साथ ही पूरी घटना को लेकर स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ख्याति अस्पताल में हुई कथित घटना बेहद गंभीर है। PMJAY के दुरुपयोग या किसी भी तरह के घोटाले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
नितिन पटेल ने उठाए सवाल
नितिन पटेल इस मामले पर कहा कि कल बस भेज कर करीबन 19 लोगों को अस्पताल में लाया गया था और उसके बाद तमाम लोग दिल के मरीज हैं। इस तरह से प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज करने की मंजूरी भी ली गई थी और जो जानकारी मिली है, उसमें से ज्यादातर लोगों की एंजियोग्राफी और एनजीओ प्लास्टिक करनी थी। यह बात भी सामने आई है कि अस्पताल प्रशासन की तरफ से गांव के लोगों के साथ-साथ तहसील के हेल्थ ऑफिस को भी कोई सूचना नहीं दी गई थी।
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