गुजरात के इस जिले में बढ़ी आम की खेती, किसानों को मिलती है सरकार से 2 लाख की मदद

Mango Cultivation Increased In Porbandar: कई बार गिर के अलावा, केसर आम का उत्पादन पोरबंदर जिले के बरदा उप-विभाग में किया जा रहा है। इसके साथ ही सरकार आम की खेती में भी मदद कर रही है।

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mango cultivation in Porbandar

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Mango Cultivation Increased In Porbandar: पोरबंदर जिले के बरदा डूंगर के आसपास के इलाकों में आम के बगीचे हैं और केसर आम का उत्पादन भी अच्छा होता है। इस क्षेत्र के किसानों द्वारा आम की खेती की जा रही है। वहीं, गुजरात सरकार की ओर से भी काफी प्रोत्साहन मिल रहा है। राज्य सरकार द्वारा मनरेगा योजना के अंतर्गत आठ अलग-अलग श्रेणियों को शामिल किया गया है। इन सभी श्रेणियों में पात्र किसानों और मजदूरों को रोजगार सहित लाभ दिया जाता है। पोरबंदर जिला विकास अधिकारी के बी ठक्कर के मार्गदर्शन में जिला ग्राम विकास अभिकरण के निदेशक एवं पूरी टीम ने मनरेगा योजना में विशेष लाभ दिलाने के लिए प्रयास किए हैं। मनरेगा के तहत एक योजना के तहत साढ़े बारह बीघे से कम जमीन वाले किसानों को दो लाख तक की सहायता मिलती है।

पोरबंदर जिले में मनरेगा योजना के तहत बागवानी पौधे लगाने पर किसानों को लाभ दिया जाता है। योजना का लाभ जहां लघु एवं सीमांत किसानों को दिया जा रहा है, वहीं इस योजना के तहत पोरबंदर जिले के बिलेश्वर गांव के किसानों को फायदा दिया गया है। बिलेश्वर गांव के भरतभाई डायाभाई लुदरिया नामक किसान को महात्मा गांधी मनरेगा योजना से लाभ हुआ है। ग्राम बिलेश्वर के इस लाभार्थी किसान का चयन मनरेगा गाइडलाइन के तहत किया गया है। मनरेगा योजना के तहत कार्य कराया गया है।

मनरेगा योजना का लाभ 

बिलेश्वर गांव में भरत डायाभाई लुदरिया को अपने खेत में 450 से अधिक आम के पौधे लगाने से लाभ हुआ है। राणावाव तालुका के बिलेश्वर गांव ने व्यक्तिगत योग्यता वाले किसानों का चुनाव किया है और उनके खेतों में आम के पौधे लगाए गए हैं। मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर 65% कृषि कार्य की गाइडलाइन के अनुसार कार्य का चयन किया जाता है। इस कार्य में मनरेगा योजना के तहत वर्करों को रोजगार भी उपलब्ध कराया जाता है। व्यक्तिगत लाभार्थियों को मनरेगा योजना का लाभ देकर किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया गया है। पोरबंदर जिले में भी आम लगाए जा रहे हैं। बिलेश्वर, खंभाला, हनुमानगढ़, आदित्यान समेत कई गांवों में बड़े पैमाने पर आम की बागवानी देखी जा रही है। अन्य किसान भी आम की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। इसके चलते पिछले दो साल में 90 हेक्टेयर में आम की फसल लगी है।

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