गुजरात के अहमदाबाद में बना दक्षिण भारत के मंदिरों जैसा भव्य जैन मंदिर; दिल खुश कर देगी खूबसूरती
Gujarat South Indian Style Jain Temple in Built Ahmedabad: गुजरात के अहमदाबाद में दक्षिण भारतीय मंदिरों की शैली पर जैन देरासर बनाया जा रहा है। इस जैन देरासर का निर्माण शहर के करीब रंचरदा गांव में हो रहा है। रांचरदा गांव के पास निर्माणाधीन देरासर में 45 से अधिक नक्काशीदार खंभे होंगे, वहीं भीतरी छत पर अद्भुत नक्काशी है। इस देरासर 4 गुरु भगवंतों की स्मृति में एक सुंदर गुरु मंदिर भी बनाया गया है, संगेमरमर के पत्थर की दक्षिणी शैली की कलाकृति 24 जिनेश्वर धाम अहमदाबाद के वैभव के समान है। इस देरासर में चौमुखी मूर्तियों का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव चल रहा है।
साधु-साध्वियों की सेवा का केंद्र
आचार्य कुलचंद्र सूरीश्वरजी महाराज साहब ने देरासर के लिए जैन शास्त्र के अनुसार डिजाइन की पुष्टि के बाद दक्षिणी शैली के मंदिरों की तरह श्री पार्श्व प्रेम 24 जिनेश्वर धाम का निर्माण किया जा रहा है, जो नक्काशी और नक्काशियों से बेनमून होता जा रहा है। इसके पीछे प्रेरणास्रोत प्रेम सूरीश्वरजी महाराज साहब हैं। जिनका सपना रंचरदा में जैन देरासर बनने के साथ-साथ साधु-साध्वियों की सेवा का केंद्र भी बनना था।
24 तीर्थंकर प्रतिमाओं वाला पहला जिनालय
अहमदाबाद के रंचरदा में जैन समुदाय के 24 तीर्थंकर प्रतिमाओं वाला ये पहला जिनालय बनाया गया है। 8 दिसंबर को इस देरासर भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन किया गया। जहां द्रविड़ शैली के जिनालय में भगवान विराजमान हैं। जिनालय मूलनायक 51 इंच चौमुखजी में 4 देवता विराजमान हैं। इसके साथ ही वर्तमान 24वीं सदी के जैन धर्म के 24 तीर्थंकर परमात्मा, 9 अधिष्ठायक देवता जिनालय में जीवंतता का एहसास कराते हैं। गुरु भगवंत की स्मृति में एक सुंदर गुरु-मंदिर भी बनाया गया है। यह जिनालय संगेमरमार चट्टान से निर्मित दक्षिणी शैली की कला का नमूना युक्त श्री पार्श्व प्रेम 24 जिनेश्वर धाम अहमदाबाद और पूरे गुजरात में कला का एक नमूना है। इसका निर्माण कार्य पिछले 6 साल से चल रहा था।
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4 श्रीयंत्र चारों दिशाओं में स्थापित
देरासर की यह कला नक्काशी देलवाड़ा, रणकपुर की तरह दिखेगी। इसके अलावा जिनालय को बनाने में जिस पानी का उपयोग किया गया है वह शेत्रुंजया नदी से लिया गया है। जिनालय के 24 शिखरों में से 4 श्रीयंत्र चारों दिशाओं में स्थापित हैं। 14 मंगलमूर्तियां इसलिए रखी गई हैं ताकि पशु-पक्षी भी दर्शन कर सकें और अगले जन्म में मानव अवतार पा सकें।