गुजरात हाउसिंग सोसायटी जल्द ले सकती है बड़ा फैसला! बदल जाएगी पुराने घर में रहने वालों की किस्मत
Gujarat Housing Society Decision: गुजरात हाउसिंग सोसाइटी के रहने वाले लोग काफी लंबे समय से कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। लेकिन अब उनकी परेशानियों खत्म होने वाली है। जल्द ही हाउसिंग सोसायटी के निवासियों को फायदे की खुशखबरी मिल सकती है। खबरे है कि गुजरात हाउसिंग सोसायटी जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकती है, जिससे हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनाए गए घरों में रहने वाले लोगों को बहुत फायदा होगा।
हाउसिंग बोर्ड के नागरिकों की परेशानी
दरअसल, गुजरात हाउसिंग बोर्ड के नागरिक कई मुश्किलों से जूझ रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनाए गए घर जर्जर होते जा रहे हैं, उनके पुनर्विकास में कई तरह परेशानियां आ रही हैं। हाउसिंग बोर्ड के पुराने मकानों को नया बनाने के लिए सरकार की तरफ से योजना तो लाई गई है, लेकिन उस पर प्रसाशनिक अमल नहीं हो रहा है। वहीं जिन लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की अलग-अलग योजनाओं में मकान आवंटित किए गए हैं, वह इन मकानों के मालिक नहीं बनते, केवल रहने वाले ही माने जाते हैं। ऐसे में यह खबर है कि गुजरात हाउसिंग बोर्ड जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकता है।
हाउसिंग बोर्ड के फैसले का असर
हाउसिंग बोर्ड के इस फैसले से कई शहरवासियों को फायदा होगा। इस फैसले से हाउसिंग बोर्ड के उन सभी निवासियों को बहुत फायदा होगा जिनके पास पुराने मकान हैं या जिन्हें भविष्य में मकान मिलने वाले है। संभावना है कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनाए गए मकानों में रहने वाले लोग जल्द ही नए मकानों के मालिक बन जाएंगे। साथ ही यह भी योजना बनाई जा रही है कि जल्द ही उन्हें अपने जर्जर मकानों के सामने नए घर मिलेंगे।
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लागू किए गए नियम
गुजरात में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नए घरों का निर्माण समय-समय पर हो रहा है। हालांकि, गुजरात हाउसिंग सोसायटी की कई इमारतें पुरानी हो चुकी हैं, जिनका निर्माण कार्य काफी समय से चल रहा है। हाउसिंग बोर्ड के मकानों के पुनर्विकास के लिए भी कुछ नियम लागू किए गए हैं।
गुजरात हाउसिंग बोर्ड के पुराने मकान
बता दे कि कुछ समय पहले मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने गुजरात हाउसिंग बोर्ड के पुराने मकानों के जल्द रिडवलपमेंट के उद्देश्य से कुछ खास फैसले लिए गए थे। इन फैसलों से ऐसे मकानों में रहने वालों के मालिकाना हक और दस्तावेजों की समस्या से बचा जा सकेगा। स्वामित्व अधिकार स्थापित नहीं होने के कारण फ्लैट टाइप मकानों में पुनर्विकास नीति के क्रियान्वयन में आ रही बाधा भी दूर हो जाएगी।
बताया जाता है कि हाउसिंग बोर्ड के मकानों के पुनर्विकास में सरकार को भारी घाटा होता है। इसीलिए अब सरकार इस संबंध में बड़े फैसले लेते हुए फ्लैटों का मालिकाना हक देने के बारे में सोच रही है।