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‘70 हजार दो, बन जाओ डॉक्टर…सूरत पुलिस ने किया फर्जी डिग्रियां बेचने वाले गैंग का भंडाफोड़

Gujarat Fake Medical Degree Racket: गुजरात का यह मामला आपको हैरान कर देगा। सूरत में एक गैंग 70 हजार में मेडिकल डिग्री बांट रहा था। इस घोटाले का भंडाफोड़ सूरत पुलिस ने किया।
12:56 PM Dec 06, 2024 IST | Deepti Sharma
Gujarat Fake Medical Degree Racket
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Gujarat Fake Medical Degree Racket: गुजरात में फर्जी डॉक्टरों की गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है। गुजरात के सूरत में फर्जी 'बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो-होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी' (BEMS) डिग्री गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद 10 फर्जी डॉक्टरों समेत कुल 13 लोगों को अरेस्ट किया गया है।

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फर्जीवाड़े की फेहरिस्त में इस बार सामने आया यह मामला आपको हैरान कर देगा। लाखों रुपए खर्च कर लोग डॉक्टर बनने के लिए सालों साल लोग कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन सूरत में एक गैंग महज 70 हजार में मेडिकल डिग्री देकर डॉक्टर बना रहा था।

सूरत का ये गिरोह 8वीं पास को भी 70 हजार रुपये में बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो-होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी (BEMS) डिग्री देकर डॉक्टर बना रहा था। इस मामले में अब तक करीब 1200 फेक डिग्री देने वाले 10 फर्जी डॉक्टरों समेत कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस ने बताया कि आरोपियों में से तीन 70,000 रुपये में फर्जी बीईएमएस डिग्रियां बेच रहे थे। उनकी पहचान सूरत के निवासी अहमदाबाद के रहने वाले बीके रावत, रसेश गुजराती और उनके साथी इरफान सैयद के रूप में पहचान हुई।

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कैसे हुआ भंडाफोड़

सूरत पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला कि गुजराती और रावत बोर्ड ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन, अहमदाबाद की आड़ में अपना गैंग चला रहे थे। इन लोगों ने डिग्री रजिस्ट्रेशन के लिए एक फर्जी वेबसाइट भी बनाई हुई थी।

मुख्य आरोपी रशेष ने डिग्री देने के लिए एक बोर्ड स्थापित करने की योजना बनाई, जिसमें पांच लोगों को काम पर रखा और इलेक्ट्रो-होम्योपैथी में उन्हें ट्रेंड किया और डिग्रियां बांटने का काम करने लगे। कुछ समय बाद जब फर्जी डॉक्टरों को पता चला कि लोग इलेक्ट्रो होम्योपैथी को लेकर शंका में हैं, तो उन्होंने अपनी योजना बदल दी और लोगों को गुजरात के आयुष मंत्रालय द्वारा जारी की गई डिग्री देने लगे। उन्होंने दावा किया कि बोर्ड BEHM का राज्य सरकार के साथ गठजोड़ है।

पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, ये गिरोह डिग्री के लिए 70,000 रुपये लेता था, इसके साथ ही उन्हें ट्रेनिंग भी देता था। इसके अलावा हर साल रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल फीस या फिर प्रोटेक्शन मनी के नाम पर 1500 से लेकर 5 हजार रुपए भी वसूलता था। ये अपने ग्राहकों को गारंटी देते थे कि डिग्री के साथ वे बिना किसी समस्या के एलोपैथी, होम्योपैथी और आरोग्य में मेडिकल प्रैक्टिस कर सकते हैं।

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