मुंद्रा पोर्ट की 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में डाक टिकट जारी, इस तरह बना देश का अग्रणी बंदरगाह
Mundra Port: भारत के सबसे बड़े वाणिज्यिक बंदरगाह मुंद्रा पोर्ट को रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में एक विशेष डाक टिकट से सम्मानित किया गया है। विश्व डाक दिवस पर जारी किया गया यह स्मृति डाक टिकट मुंद्रा बंदरगाह के पिछले 25 सालों में सामाजिक-आर्थिक योगदान और वैश्विक समुद्री केंद्र के रूप स्थापित होने के गौरव के रूप में दिया गया है।
स्मृति डाक टिकट को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल की ओर से अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश अदाणी, अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर करण अदाणी, गुजरात सर्कल के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल गणेश वी. सावलेश्वरकर, हेड क्वाटर रीजन के पोस्टमास्टर जनरल और भारतीय डाक के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में जारी किया गया।
बंजर भूमि से लेकर प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र बनने तक का सफर
बता दें कि गौतम अदाणी ने एक बंजर भूमि पर मुंद्रा पोर्ट का निर्माण किया था। यह आज भारत का एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र होने के साथ-साथ देश का एक महत्वपूर्ण समुद्री प्रवेश द्वार बन चुका है। अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड की ओर से इसे मैनेज किया जाता है। इस पोर्ट को सिंगल जेट्टी से वैश्विक शिपिंग हब में विकसित किया गया है। जो भारत को दुनिया से जोड़ता है और देश के एक बड़े हिस्से की जरूरतों को पूरा करता है।
राष्ट्रीय खजाने में दिया 2.25 लाख करोड़ का योगदान
आज मुंद्रा पोर्ट देश के आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। जानकारी के अनुसार, 1998 के बाद से बंदरगाह ने राज्य और राष्ट्रीय खजाने में 2.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया है। इसके साथ ही 7.5 करोड़ से अधिक रोजगार पैदा किए हैं। वहीं, 70,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश आकर्षित किए हैं।
3.5 लाख से ज्यादा लाभान्वित
वर्तमान में मुंद्रा पोर्ट भारत के लगभग 11% समुद्री कार्गो और देश के 33% कंटेनर ट्रैफिक को संभालता है। अदाणी फाउंडेशन के माध्यम से बंदरगाह की कम्यूनिटी सपोर्ट इनिशिएटिव ने 61 गांवों तक पहुंच बनाई है, जिससे 3.5 लाख से ज्यादा लोग लाभान्वित हुए हैं। अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड) के मैनेजिंग डायरेक्टर करण अदाणी ने इस मौके पर कहा- "यह स्मृति डाक टिकट केवल मुंद्रा पोर्ट की विरासत का प्रतीक ही नहीं, बल्कि गुजरात के लोगों के साथ हमारी विश्वासपूर्ण भागीदारी और राज्य सरकार की सहायक नीतियों का भी प्रतीक है।"
मुंद्रा पोर्ट के परिवर्तन की कहानी
उन्होंने आगे कहा- "हमने साथ मिलकर एक विशाल बंजर भूमि को भारत के सबसे बड़े बंदरगाह में बदल दिया है। यह हमारी प्रतिबद्धता है कि हम आर्थिक विकास को बढ़ावा दें और अपने लोगों के लिए अवसर पैदा करें। साथ ही भारत के वैश्विक व्यापार में नेतृत्व की महत्वाकांक्षा का समर्थन करें।"
इंडिया पोस्ट द्वारा जारी यह डाक टिकट "प्रगति के 25 वर्ष- मुंद्रा पोर्ट" शीर्षक के साथ मुंद्रा पोर्ट के परिवर्तन की कहानी को दर्शाता है। इस टिकट शीट में 12 टिकटें हैं, जिसे इंडिया पोस्ट और एपीएसईजेड के सहयोग से डिजाइन किया गया है। हैदराबाद के सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस में 5,000 टिकट शीट्स, यानी कुल 60,000 टिकट छापे गए हैं। ये टिकट इंडिया पोस्ट के ई-पोर्टल पर खरीदने के लिए उपलब्ध होंगे। मुंद्रा पोर्ट के स्मृति डाक टिकट के अलावा, इंडिया पोस्ट ने एक विशेष कवर और स्टाम्प कैंसलेशन प्रक्रिया भी शुरू की है। टिकट शीट की एक प्रति स्थायी रूप से नई दिल्ली के राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रह संग्रहालय में भी प्रदर्शित की जाएगी।