दो सीएम, चार बार उपचुनाव; जानिए 5 साल में कितनी बदली हरियाणा की राजनीति?
Haryana Assembly Election: हरियाणा में एक अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। वहीं, 4 अक्टूबर को नतीजे घोषित हो जाएंगे। बीजेपी सत्ता की हैट्रिक लगाएगी या कांग्रेस सरकार बना पाएगी। इनेलो और जजपा के प्रदर्शन पर भी सबकी निगाह होगी। प्रदेश में 90 सीटें हैं, बहुमत का जादुई आंकड़ा 46 है। लगभग 3 करोड़ मतदाता हैं। प्रदेश की राजनीति में पिछले 5 साल में क्या-क्या परिवर्तन आए? इसके बारे में बात करते हैं। हरियाणा में फिलहाल बीजेपी की सरकार है, जिसको निर्दलीयों का समर्थन है। 2019 में दुष्यंत चौटाला की जजपा ने भाजपा को समर्थन देकर सरकार बनाई थी। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन टूट गया।
लोकसभा चुनाव में बराबरी का मुकाबला
लोकसभा में कांग्रेस और भाजपा को 5-5 सीटें मिलीं। 27 अक्टूबर 2019 को मनोहर लाल ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी। जेजेपी को 10 सीटें मिली थी। किंगमेकर दुष्यंत को डिप्टी सीएम बनाया गया था। चुनाव को अभी डेढ़ साल ही बीते थे कि 2021 में किसानों का 3 कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन शुरू हो गया। यही मनोहर सरकार की अग्नि परीक्षा की घड़ी थी। जनवरी 2021 में किसानों के समर्थन में अभय सिंह चौटाला ने ऐलनाबाद सीट से रिजाइन कर दिया।
...और गिर गया अविश्वास प्रस्ताव
इसी दौरान कांग्रेस बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई। 32 विधायकों ने इसका पक्ष लिया। लेकिन तब विधायकों की कुल तादाद 88 थी। सरकार को 55 विधायकों का साथ मिला। मनोहर लाल और हुड्डा में लंबी बहस सदन में हुई और अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। 2021 में हुए उपचुनाव में अभय ने फिर ऐलनाबाद से जीत दर्ज की। जिसके बाद 2024 तक मनोहर सीएम रहे।
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लेकिन लोकसभा चुनाव से ऐन पहले उनको बदल दिया गया। नायब सिंह सैनी को 12 मार्च 2024 को नया सीएम बनाया गया। साथ में 5 विधायकों को मंत्री बनाया गया। इससे पहले नायब सिंह 2019 में कुरुक्षेत्र से सांसद बने थे। 2023 में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बने। मनोहर लाल को कुछ ही समय बाद भाजपा ने करनाल से लोकसभा उम्मीदवार बनाया था। जिन्होंने जीत भी दर्ज की। 4 जून को प्रदेश की 10 लोकसभा और करनाल की विधानसभा सीट के नतीजे घोषित हुए। जिसमें भाजपा और कांग्रेस ने 5-5 लोकसभा सीटें जीतीं। करनाल से सीएम सैनी विधानसभा चुनाव जीत गए।
उपचुनाव में 2 बार बीजेपी को मिली जीत
2019 के बाद प्रदेश में 4 बार विधानसभा उपचुनाव हुए। जिनमें 2 बीजेपी, 1-1 कांग्रेस और इनेलो ने जीते। 2020 में बरोदा सीट से कांग्रेस के विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा का निधन हो गया। जिसके बाद कांग्रेस के इंदुराज नरवाल ने भाजपा के पहलवान योगेश्वर दत्त को शिकस्त देकर उपचुनाव जीता। वहीं, अभय ने ऐलनाबाद में नवंबर 2021 में जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर भाजपा-जजपा गठबंधन प्रत्याशी गोबिंद कांडा रहे। कांग्रेस की यहां जमानत तक नहीं बची। सितंबर 2022 में कुलदीप बिश्नोई ने विधानसभा सदस्यता छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। जिसके बाद उपचुनाव हुए। नवंबर 2022 में आदमुपर सीट से उनके बेटे भव्य बिश्नोई विधायक बने। कांग्रेस के जयप्रकाश दूसरे नंबर पर रहे।
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इस बार माना जा रहा है कि मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में होगा। जजपा और इनेलो भी कुछ सीटों पर खेल कर सकती हैं। भाजपा ने साफ किया है कि वह सैनी के चेहरे पर ही दांव लगाएगी। कांग्रेस ने चेहरा घोषित नहीं किया है। लेकिन माना जा रहा है कि हुड्डा सबसे ऊपर हैं। दुष्यंत की जजपा और अभय सिंह की इनेलो देवीलाल के नाम पर लोगों से समर्थन मांगेंगी।
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