BJP की नाॅन जाट पाॅलिटिक्स कितनी कारगर? क्या हरियाणा में तीसरी बार दोहरा पाएंगे इतिहास
Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में इस साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। भाजपा और कांग्रेस अपने स्तर पर रणनीतियां बनाने में जुटे हैं। कांग्रेस जहां जाट और मुस्लिम वोटर्स साधकर 10 साल बाद प्रदेश में वापसी की कोशिश में जुटी है तो वहीं बीजेपी जाटों की नाराजगी सामने आने के बाद अब विधानसभा चुनाव में नये सामाजिक समीकरण साधने में जुटी है।
जानकारी के अनुसार भाजपा प्रदेश में नाॅन जाट और ओबीसी वोटर्स को अपने पाले में करने में जुटी है। इसके लिए पार्टी के नेता रणनीति बनाने में जुटे है। भाजपा की रणनीति में ओबीसी, ब्राह्मण और दलित शामिल हैं। इस रणनीति के तहत बीजेपी ने ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया है।
जाटों की नाराजगी से कम हुई सीटें
हरियाणा बीजेपी की जाटों से खास नाराजगी 2019 लोकसभा चुनाव के बाद उभरकर सामने आई। अग्निवीर योजना और एमएसपी गारंटी को लेकर किसानों के आंदोलन ने इस नाराजगी की धार को और तेज किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को प्रदेश की 10 में से 5 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा में ये रिवाज रहा है कि कोई भी पार्टी बिना जाटों के सरकार नहीं बना सकती। ये 2019 के विधानसभा चुनाव में नजर भी आया। 2014 के चुनाव में 46 सीटें जीतकर अपने दम पर सरकार बनाने वाली बीजेपी को 2019 के विधानसभा चुनाव में मात्र 40 सीटें मिली। इसके बाद पार्टी ने सरकार बनाने के लिए दुष्यंत चैटाला की पार्टी जेजेपी से गठबंधन किया।
पार्टी ने बनाई ये रणनीति
भाजपा हरियाणा में पिछले काफी समय नाॅन जाट वोटर्स को लामबंद करने में जुटी है। पार्टी ने कुछ समय पहले ही ओपी धनखड़ की जगह पर ब्राहाण नेता मोहन लाल बड़ौली को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। इससे पहले बड़ौली महासचिव थे। उनकी जगह अब दलित समुदाय के कृष्ण बेदी को महासचिव बनाया है। ऐसे में प्रदेश में अब जाट वोटर्स की काट के लिए बीजेपी ने ओबीडी फाॅर्मूला तैयार किया है। इसमें ओबीसी, ब्राह्मण और दलित शामिल हैं।
नाॅन जाट वोटर्स को साधने में जुटी पार्टी
बता दें कि हरियाणा में नाॅन जाट वोटर्स की कुल आबादी 62 प्रतिशत है। इसमें सैनी, गुर्जर, यादव और ओबीसी के 30 प्रतिशत वोट हैं। इसके अलावा दलितों की आबादी भी 20 प्रतिशत हैं। वहीं प्रदेश में जाटों के बाद सबसे बड़ी बिरादरी ब्राह्मणों की है। इनकी संख्या करीब 12 फीसदी है। प्रदेश में जाटों की कुल आबादी 27 प्रतिशत हैं वहीं 90 में 40 विधानसभा सीटों पर इनका सीधा प्रभाव है इसके अलावा पंजाबी समुदाय का भी भाजपा को पूरा सहयोग रहा है।
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2024 में बीजेपी का वोट शेयर
जाट और मुस्लिम मतदाताओं के कांग्रेस के पक्ष में लामबंद होने के बाद बीजेपी ने ओबीडी फाॅर्मूला तैयार किया है। ऐसे में भाजपा के लिए दलितों को साधना सबसे बड़ी चुनौती है। भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में 46 प्रतिशत वोट मिले। जबकि 2019 के चुनाव में यह आंकड़ा 58 प्रतिशत था। वहीं 2019 के चुनाव में 28 प्रतिशत वोट हासिल करने वाली कांग्रेस इस चुनाव में 43 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
ऐसे में 40 सीटों पर प्रभाव रखने वाले जाटों को दरकिनार कर पार्टी ओबीडी के सहारे इस बार नैया पार करने की कोशिश में है। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि बिना जाटों के सहयोग से पार्टी इस बार बहुमत के आंकड़े तक कैसे पहुंचेगी?
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