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हरियाणा में इस बार आसान नहीं BJP की राह, वोट कटवा पार्टियां ऐसे बिगाड़ेगी खेल

Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024: हरियणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। 1 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। इस बीच बीजेपी और कांग्रेस में शह और मात का खेल शुरू हो चुका है।

हरियाणा में 10 साल बाद सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी कांग्रेस

Haryana Assembly Election 2024: चुनाव आयोग हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर चुका है। प्रदेश में 1 अक्टूबर को वोटिंग होंगी। वहीं नतीजे जम्मू-कश्मीर के साथ ही 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। हरियाणा में पिछले 10 साल सत्ता में काबिज बीजेपी की राह इस बार इतनी आसान नहीं होगी। वजह है 10 साल की एंटी इंनक्मबेंसी, किसानों और जाटों की नाराजगी और अग्निवीर योजना से युवाओं में गुस्सा। उधर कांग्रेस भी लोकसभा चुनाव के नतजों से इतनी उत्साहित है कि उसने भी प्रदेश में जीत का दावा किया है। इसके लिए उसने एक प्लान भी घोषित किया है। आइये जानते हैं बीजेपी-कांग्रेस की क्या है रणनीति?

बीजेपी इस बार के हरियाणा विधानसभा चुनाव में पिछली 10 साल की उपलब्धियों के आधार पर मैदान में उतरेगी। एंटी इंनकमबेंसी को कम करने के लिए पार्टी ने ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया है। हालांकि लोकसभा चुनाव से ऐन पहले भी बीजेपी का यह दांव धरा रह गया क्योंकि पार्टी 10 में से 5 सीटें ही जीत पाई। बीजेपी 2014 में हरियाणा में अपने दम पर सत्ता में आई और 46 सीटें हासिल की। 2019 के चुनाव से पहले इनेलो से अलग होकर ओपी चैटाला के पोते दुष्यंत चैटाला ने अपनी स्वंय की पार्टी जजपा बनाई।

इस बार वोट कटवा किसको पहुंचाएंगे नुकसान

जजपा 2019 के चुनाव में जाट बाहुल्य 40 सीटों पर चुनाव लड़ी और पार्टी को इसमें से 10 सीटों पर जीत मिलीं। इसका फायदा बीजेपी को हुआ और नुकसान कांग्रेस को। हालांकि 2014 के मुकाबले 2019 में कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिलीं। भाजपा की हरियाणा में सबसे बड़ी समस्या जाट हैं। जाट बीजेपी से इस कदर नाराज है कि उनके प्रभाव वाली एक भी सीट पर बीजेपी इस बार के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज नहीं कर पाई। जाट जाति के अधिंकाश लोग या तो किसानी का काम करते हैं या सेना में भर्ती होते हैं।

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क्या जाट वोटर्स का बंटवारा होगा?

ऐसे में बीजेपी के लिए जाट बड़ी मुसीबत बने हुए हैं, हालांकि जजपा और इनेलो जैसी पार्टियां बीजेपी को राहत दे सकती है। जानकारी के अनुसार जाट वोट का बंटवारा होना तय है। ऐसे में अगर इनेलो और जजपा को उनके हिस्से के वोट मिलते हैं तो बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा और कांग्रेस को इसका नुकसान होगा। यह सब फिलहाल भविष्य के गर्भ में छिपा है। बीजेपी भी पूरी तरह डैमेज कंट्रोल में जुटी है। सैनी सरकार ने हाल ही में 10 और फसलों को एमएसपी मं शामिल किया है।

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कांग्रेस भी तैयारी में जुटी

कांग्रेस प्रदेश में 15 जुलाई से हरियाणा मांगे हिसाब अभियान के जरिए भाजपा पर हमला बोल रही है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने घोषणा करते हुए कहा कि अगर सरकार की वापसी होती है तो बुजुर्गों को 6 हजार रुपये मासिक पेंशन, हर परिवार को 300 यूनिट फ्री बिजली और महिलाओं को 500 रुपये में सिलेंडर मुहैया कराने जैसी घोषणाएं की हैं।

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