बैटरी की वोल्टेज का EVM में क्या रोल? चार्जिंग कम-ज्यादा होने से क्या फर्क, जानें सच्चाई
Haryana Assembly Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद ईवीएम को लेकर फिर सियासी घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगाए हैं। इस बीच चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि EVM से छेड़छाड़ नहीं हो सकती है। बैटरी की क्षमता और चुनाव परिणामों का आपस में संबंध नहीं है। मंगलवार को नतीजे आने के बाद कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाए थे कि कुछ जिलों में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की गई है। मशीनों में बैटरी चार्ज की अलग स्थिति के कारण अलग-अलग परिणाम आने की बात कही गई थी।
सूत्रों के मुताबिक ये बैटरियां शुरुआत में 7.5 से 8 वोल्ट के बीच में वोल्टेज देती हैं। जब वोल्टेज 7.4 से ऊपर होती है तो बैटरी 99 फीसदी चार्ज दिखती है। ईवीएम के इस्तेमाल के हिसाब से वोल्टेज कम होने लगती है। अगर वोल्टेज 7.4 से नीचे चली जाती है तो चार्जिंग 98 से 10 फीसदी दिखने लगती है। कंट्रोल यूनिट 5.8 से ज्यादा वोल्टेज होने तक काम करती है। जब बैटरी की क्षमता 10 फीसदी से ज्यादा रह जाती है, तब कंट्रोल यूनिट डिस्प्ले पर बैटरी बदलने की चेतावनी दिखाई देती है। यह उस संकेत के बराबर है, जब गाड़ी में तेल खत्म होने लगता है और चेतावनी दी जाती है।
यह भी पढ़ें:’12-14 सीटों पर गड़बड़ी…3 जिलों में EVM गड़बड़,’ कांग्रेस बोली- हरियाणा के नतीजे स्वीकार नहीं
कांग्रेस ने कहा था कि महेंद्रगढ़, पानीपत और हिसार में ईवीएम को लेकर शिकायतें आई थीं। जिन ईवीएम में 99 फीसदी चार्जिंग थी, वहां कांग्रेस की हार हुई। जिन ईवीएम में 60-70 फीसदी तक चार्जिंग थी, वहां कांग्रेस की जीत हुई। इसको लेकर अब चुनाव आयोग का रिएक्शन सामने आया है।
जयराम रमेश ने लगाए थे आरोप
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि क्या आप इस साजिश को समझ गए हैं। जहां बैटरी 99 फीसदी चार्ज होती है, वहां बीजेपी जीतती है। जहां 60-70 फीसदी बैटरी होती है, वहां कांग्रेस जीतती है। यह षड्यंत्र नहीं तो और क्या है। चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक ईवीएम की कंट्रोल यूनिट में एल्केलाइन बैटरियों का यूज किया जाता है। कैंडिडेट्स की मौजूदगी में नई बैटरियां ईवीएम में डाली जाती हैं। बाद में इनको सील किया जाता है।
ये भी पढ़ेंः जाटों ने दिया भरपूर साथ फिर क्यों हरियाणा में कांग्रेस हो गई फेल, जानें कैसे बाजीगर बनी BJP