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Haryana Election : क्या किसानों का ट्रैक्टर बनेगा जीत का फैक्टर? समझें पूरा समीकरण

Haryana Election 2024 : हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी तेज कर दी। इसे लेकर लोगों के बीच चर्चा होने लगी है कि इस बार किसे हरियाणा की कमान सौंपनी है? सियासी हलचल के बीच बड़ा सवाल उठता है कि क्या किसानों का ट्रैक्टर बनेगा जीत का फैक्टर?
10:36 PM Sep 18, 2024 IST | Deepak Pandey
haryana election   क्या किसानों का ट्रैक्टर बनेगा जीत का फैक्टर  समझें पूरा समीकरण
Haryana Assembly Election 2024

(पवन मिश्रा, हिसार)

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Haryana Assembly Election 2024 : हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां बढ़ गई हैं। कस्बे से लेकर गांव तक हर जगह चुनावी चर्चा हो रही है। अगर चरखी दादरी विधानसभा सीट की बात करें तो नुक्कड़ और चौहारे पर किसान चुनाव पर चर्चा करते नजर आ रहे हैं। इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता दीपक लंबा ने News24 से बातचीत करते हुए कहा कि इलाके में विकास कहीं गुम हो गया है, उसकी तलाश अभी तक पूरी नही हुई है। शहर से लेकर गांव तक की सड़कें की हालात पूरी तरह से खराब है। अब बड़ा सवाल उठता है कि क्या इस बार किसान भाइयों का ट्रैक्टर बनेगा जीत का फैक्टर?

चरखी दादरी के लोगों का कहना है कि हर बार नेता आते हैं और वादा करके चले जाते हैं। चरखी गांव के किसानों ने कहा कि इस बार के चुनाव में उनका ट्रैक्टर ही जीत का फैक्टर साबित होगा। बरसाना गांव की महिलाओं ने रागिनी गीत गाते हुए कहा कि महंगाई की वजह से हरी सब्जी को वो दस दिन में एक बार खाती है, दिहाड़ी मजदूरी भी उन्हें पूरे महीना नहीं मिल पाता है, उज्वला योजना सिर्फ प्रचार बनकर रह गया है।

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अग्निवीर योजना से नाराज दिखे युवा

चरखी दादरी के युवा अग्निवीर योजना से खासे नाराज दिखे। उन्होंने अपनी तकलीफों को साझा करते हुए कहा कि उम्र निकल जाने की वजह से जॉब नहीं कर पा रहे हैं। अगर जो वेकेंसी निकलती भी है तो फॉर्म भरवाने के नाम पर पैसा ले लिया जाता है, लेकिन भर्ती की प्रक्रिया की शुरुआत ही नहीं हो पाती है। अटेला गांव के बुजुर्गों ने कहा कि जो पेंशन मिल रही थी, वह भी पिछले 8 महीने से बंद है। हॉस्पिटल में डॉक्टर नहीं है। स्कूल के मास्टरों को चुनाव की ड्यूटी में लगा दिया गया है। उन्होंने चुनाव पर चर्चा करते हुए कहा कि नेता चुनाव के समय सिर्फ 2 महीने के लिए दिखाई देते हैं।

क्या है तोशाम सीट का सियासी समीकरण

हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार तोशाम विधानसभा सीट पर सबकी नजर है। ये सीट बंसी लाल का गढ़ मानी जाती है। इस विधानसभा सीट पर अबतक 14 बार चुनाव हुआ है, जिनमें से 12 बार बंसी लाल परिवार ने जीत हासिल की है। खुद बंसी लाल इस सीट पर 7 बार मैदान में उतरे और उन्होंने 6 बार जीत हासिल की थी। इसी सीट से चुनाव जीतकर वो 3 बार हरियाणा के सीएम बने। उनके बेटे सुरेंद्र सिंह ने 4 चुनाव में से तीन बार जीत दर्ज की थी। सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद उपचुनाव में उनकी पत्नी किरण चौधरी ने कांग्रेस के टिकट पर तोशाम से जीत दर्ज की। इसके बाद 2009, 2014, 2019 में भी किरण चौधरी ने जीत दर्ज की। इस सीट पर जाट वोटरों की संख्या करीब 25 फीसदी है। इस बार सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस बनाम भाजपा ही माना जा रहा है। तोशाम विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 18 हजार से ज्यादा वोटर हैं। इनमें से 116430 पुरुष और 102191 महिला वोटर हैं। अब तक इस सीट से केवल जाट उम्मीदवार ने ही जीत दर्ज की है।

रोजगार के साथ पानी की बड़ी समस्या

तोशाम में सबसे बड़ी मंडी अनाज की मंडी है। वहां की कुछ महिलाओं ने बताया कि होली दिवाली की तरह उन्हें भी चुनाव का इंतजार रहता है, क्योंकि पांच सालों के बाद नेता उनके पास आते हैं। लोगों को वोट देने का अधिकार मिलता है। महिलाओं ने कहा कि वे महंगाई से परेशान हैं। आखिर चुनाव के समय ही पेट्रोल और सिलेंडर सस्ता क्यों हो जाता है। वहीं, इस विधानसभा के युवाओं ने रोजगार के साथ ही सबसे बड़ी समस्या पानी का बताया। उन्होंने प्रदूषित पानी होने की वजह से गांव के सभी लोग गंजे होते जा रहे हैं। युवाओं ने कहा कि डिग्री होने के बावजूद वे बेकार बैठे हुए हैं। इस बार वे वोट नहीं डालेंगे।

वंशवाद से परेशान है जनता

तोशाम विधानसभा के खरकरी माखवान गांव के रहने वाले राजेश पंघाल ने कहा कि उनकी विधानसभा वंशवाद से परेशान है। वे भजन लाल की एक ही पीढ़ी को वोट क्यों दे। सब्जी बेचने वाले रमेश ने कहा कि आखिर कैसे टमाटर 100 के पार चला जाता है और 100 के पार होने के बाद भी उन्हें पूरी लागत भी नहीं मिल पाती है। उन्होंने वोट देने के सवाल पर कहा कि उनका ट्रैक्टर ही किसी भी पार्टी की जीत का फैक्टर बनेगा। रमेश टमाटर वाले ने यह भी कहा कि चुनाव की तारीख बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।

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खेती से बचत तो छोड़िए लागत भी नहीं निकलती

वहीं, झांवरी गांव के रहने वाले किसान राजकुमार ख्यालिया ने कहा कि वे कपास और धान की खेती करते हैं और इसी पर पूरा परिवार निर्भर है, लेकिन बचत तो छोड़िए लागत भी सरकार नहीं देती है। तोशाम कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल सत्यवीर ने कहा कि सालों से इस विधानसभा के निवासी एक ही परिवार को वोट देते आ रहे हैं, लेकिन इस बार यहां बदलवा होगा। इसी गांव के रहने वाले कमल पंघाल ने मतदान की तारीख में हुए बदलाव को लेकर कहा कि जनता के टैक्स के पैसे की सिर्फ और सिर्फ बर्बादी है।

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