HOT सीट मुलाना... बहू के सामने कुनबे की साख बचाने की चुनौती, सत्ता विरोधी लहर का कांग्रेस को कितना फायदा?
Haryana Assembly Elections: हरियाणा की 90 सीटों पर सभी पार्टियों के प्रत्याशी जीत के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। अंबाला जिले की मुलाना सीट पर कांटे का मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। 50 साल से यहां चौधरी परिवार का दबदबा है। 2019 में यहां से फूलचंद मुलाना के बेटे वरुण चौधरी जीते। जो अंबाला से सांसद बन चुके हैं। उन्होंने बीजेपी की बंतो कटारिया को 49036 वोटों से शिकस्त दी थी। इस सीट से कांग्रेस ने उनकी पत्नी पूजा चौधरी को टिकट दिया है। यहां से 9 बार मुलाना खुद और 2 बार चौधरी लड़ चुके हैं। परिवार को 5 बार जीत और 6 बार हार नसीब हुई है। इस बार 225332 मतदाता यहां वोटिंग करेंगे।
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बीजेपी ने यहां से IAS सुशील सारवन की मां संतोष सारवन को टिकट दिया है। जो 2014 में जीत चुकी हैं। लेकिन 2019 में टिकट कट गया था। पार्टी ने राजबीर सिंह को टिकट दिया था। आम आदमी पार्टी (AAP) ने यहां से गुरतेज सिंह, INLD-BSP गठबंधन ने प्रकाश भारती और JJP-ASP ने डॉ. रविंद्र धीन को मैदान में उतारा है। पूजा चौधरी जीत के लिए पूरा जोर लगा रही हैं।
महंगाई और विकास बड़ा मुद्दा
ग्रामीण इलाकों में विकास बड़ा मुद्दा है। महंगाई और मुलाना में सीवरेज व्यवस्था की बदहाली को लेकर भी लोगों में गुस्सा है। कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर का फायदा मिल सकता है। इस सीट पर 13 बार चुनाव हुए हैं। 5 बार कांग्रेस, 2 बार बीजेपी, 1 बार जनता पार्टी जीती है। यहां 118700 पुरुष और 104922 महिला वोटर हैं। 3 वोट थर्ड जेंडर्स के हैं। 2009 में यहां से इनेलो जीती। राजबीर सिंह बराड़ा ने 47185 वोट लेकर जीत हासिल की थी। इस लिहाज से इनेलो-बीएसपी के प्रकाश भारती भी खेल कर सकते हैं। 2019 में बराड़ा पर बीजेपी ने भरोसा जताया। जिनको 65363 वोट मिले। वरुण सिर्फ 1688 वोटों से जीते। इस बार इनेलो का वोट बैंक छिटका तो बीजेपी को फायदा हो सकता है।
वरुण चौधरी की पकड़ यहां ठीक है। जिसका फायदा उनकी पत्नी को मिल सकता है। 2009 में प्रकाश भारती को यहां 21.67 फीसदी वोट मिले थे। अब इनेलो के साथ गठबंधन भी है। इसलिए वे भी बागियों के वजह से मुकाबले में आ सकते हैं। इनेलो दो बार यहां से जीत चुका है। जेजेपी और आप के अलावा कुछ निर्दलीय भी मैदान में हैं। माना जा रहा है कि इनको जितने भी वोट मिलेंगे, उतना ही कांग्रेस और बीजेपी को नुकसान होगा। वहीं, बीजेपी में बगावत की स्थिति दिख रही है। राजबीर का साथ खुलकर संतोष सारवान को मिला तभी वे जीत हासिल कर सकेंगी।
2014 में जीत चुकी हैं सारवान
2014 के चुनाव में भाजपा की संतोष सारवान ने राजबीर बराड़ा को 5649 वोटों से शिकस्त दी थी। 1991 में संतोष सारवान ने पहली बार हरियाणा के सिरसा जिले की डबवाली (आरक्षित) विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद उन्होंने अंबाला की राजनीति की ओर रुख कर लिया। वहीं, कांग्रेस की पूजा चौधरी पहली बार मैदान में उतरी हैं। उनके पति के सांसद बनने के बाद वे इस सीट से भाग्य आजमा रही हैं। इस सीट पर दलित वोटरों के अलावा पंजाबी और दूसरे समुदायों के भी अच्छे वोट हैं। देखने वाली बात होगी कि मतदाता किस पर भरोसा जताते हैं?
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