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Exit Poll: हरियाणा में बीजेपी के साथ कैसे हो गया खेल! जानें 5 बड़े कारण

Haryana Exit Poll Result Analysis: हरियाणा में बीजेपी के साथ खेला होता नजर आ रहा है। एग्जिट पोल के अनुमानों ने उसकी चिंता बढ़ा दी है। एग्जिट पोल में बीजेपी सत्ता से बाहर होती नजर आ रही है। उसे 20-25 सीटें मिलने का अनुमान है। जबकि कांग्रेस को यहां बहुमत मिलता नजर आ रहा है।
10:47 PM Oct 05, 2024 IST | Pushpendra Sharma
नरेंद्र मोदी, अमित शाह
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Haryana Exit Poll Result Analysis: हरियाणा की 90 सीटों पर एक ही चरण में 5 अक्टूबर को चुनाव हुआ। इसका नतीजा 8 अक्टूबर को आएगा, लेकिन शनिवार को एग्जिट पोल के अनुमानों ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। दरअसल, ज्यादातर एग्जिट पोल ने हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा किया है।

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एग्जिट पोल के अनुसार, हरियाणा में बीजेपी सत्ता से बाहर होती नजर आ रही है। यहां कांग्रेस को बहुमत मिलता दिख रहा है। कांग्रेस को 90 में से 50 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि बीजेपी 20 से 25 सीटों के बीच सिमट सकती है। आईएनएलडी को 4, जेजेपी को 2 और अन्य को 4 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। आइए जानते हैं कि ऐसे कौनसे कारण हैं, जिनकी वजह से बीजेपी 10 साल बाद सत्ता से बाहर हो सकती है।

सत्ता विरोधी लहर 

अगर बीजेपी को हार मिलती है तो ये माना जाना चाहिए कि सत्ता विरोधी लहर ने काम किया। कई जगहों पर बीजेपी के उम्मीदवारों का भारी विरोध रहा। उन्हें गांवों में घुसने तक नहीं दिया गया। बीजेपी नेताओं पर गांव के लोगों के काम नहीं करने के आरोप लगे। यही वजह है कि बीजेपी जनता का भरोसा जीतने में कामयाब होती दिखाई नहीं दे रही है।

पूर्व सीएम के व्यवहार में बदलाव 

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की छवि वैसे तो बेहतर है, लेकिन कहा जाता है कि पिछले कुछ समय में उनके व्यवहार में बदलाव देखने को मिला। सार्वजनिक मंच पर वे इस तरह का व्यवहार करते नजर आए जिससे वोटरों का मन बदला। हाल ही में वे एक युवक पर भड़कते हुए नजर आए थे। उनका इस तरह व्यवहार बीजेपी के खिलाफ गया।

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किसान-जवान-पहलवान 

किसानों, पहलवानों और जवानों के मुद्दे पर बीजेपी को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। यहां सरकार ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बॉर्डर को बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया। जिससे किसान खासे नाराज नजर आए। किसानों को लेकर बीजेपी नेताओं के कई अनर्गल बयान भी सामने आए। दूसरी ओर, कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवान धरने पर बैठे। उनके खिलाफ जब ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो ये आग भड़क गई। पहलवान विनेश फोगाट के मुद्दे ने भी इसमें बड़ी भूमिका अदा की। वहीं बीजेपी को अग्निवीर योजना का भी खामियाजा उठाना पड़ा। दरअसल, हरियाणा के किसानों के परिवारों से काफी संख्या में सेना के जवान निकलते हैं। सेना में इनकी 5 फीसदी से हिस्सेदारी माना जाता है। हरियाणा के लोगों का मानना था कि अग्निवीर से उन्हें नुकसान हुआ है। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को खूब भुनाया।

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जाट वोटरों की नाराजगी 

हरियाणा में जाट वोटरों की नाराजगी बीजेपी को ले डूबी। कांग्रेस ने यहां ज्यादातर टिकट जाट नेताओं को दिए। प्रदेश की 57 सीटों पर 10 प्रतिशत से ज्यादा जाट बिरादरी है। ऐसे में ये बड़ी भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस ने इस चुनाव में जहां जाट वोटरों को अपने साथ किया, तो वहीं दलित और अल्पसंख्यकों के बीच भी पैठ बनाई। जबकि बीजेपी के ओबीसी वोटरों में भी सेंध लगती नजर आई। फिर जब मुख्यमंत्री बदला गया तो किसी जाट नेता को कुर्सी नहीं दी गई। बीजेपी ने नायब सिंह सैनी पर भरोसा जताया। वे पिछड़ी जाति (ओबीसी) से आते हैं।

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बेरोजगारी, महंगाई का मुद्दा 

कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के साथ ही अलावा बेरोजगारी, महंगाई का मुद्दा उठाया। वह इसमें काफी हद तक कामयाब होती नजर आ रही है। वहीं बीजेपी को जाटों को डिवाइड कर ओबीसी को अपने साथ रखने की रणनीति भी काम नहीं कर पाई। बीजेपी ने हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में 2005 में गोहाना और 2010 में मिर्चपुर कांड के मुद्दे को भुनाने की कोशिश की, लेकिन वह इन मुद्दों पर मात खाती नजर आ रही है।

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Haryana Assembly Election 2024
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