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हरियाणा में MLA की मौत के बाद BJP पर संकट गहराया, क्यों सरकार नहीं बनाना चाहते JJP-कांग्रेस?

Haryana MLA Death: हरियाणा में आज एक निर्दलीय विधायक की मौत हो गई। इसके बाद से ही प्रदेश की भाजपा सरकार पर संकट और गहरा हो गया है। इससे पहले 3 निर्दलीय विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
06:19 PM May 25, 2024 IST | Rakesh Choudhary
सीएम नायाब सिंह सैनी
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Haryana Political Crisis: हरियाणा में आज लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देजनर 10 सीटों पर वोटिंग हो रही है। इस बीच निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का हार्ट अटैक से निधन हो गया। उनके निधन के बाद एक बार फिर सरकार के सामने बहुमत का संकट मंडरा रहा है। हरियाणा की 90 सदस्यों वाली विधानसभा में अब कुल 87 विधायक रह गए हैं। वहीं तीन विधायकों के पद खाली हैं। विधायक पद से इस्तीफा दे चुके पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और रणजीत चौटाला लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं निर्दलीय विधायक राकेश की मौत हो गई। ऐसे में आइये जानते हैं क्या कहता है विधानसभा का गणित-

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विधायकों के गणित के आधार पर बहुमत का आंकड़ा 44 है। सत्तारूढ़ बीजेपी के पास 40 विधायक हैं। 1 निर्दलीय विधायक और गोपाल कांडा के समर्थन के बाद बीजेपी के पास कुल 42 विधायक हैं। ऐसे में बहुमत के लिए उसे 2 विधायक और चाहिए। वहीं कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। तीन निर्दलीय विधायकों के कांग्रेस के पाले में जाने से उनके विधायकों की संख्या बढ़कर 33 हो गई है। वहीं 12 विधायक जिसमें 10 विधायक जेजेपी और 2 विधायक अभय चैटाला और बलराज कुंडू किसी के पक्ष में नहीं हैं।

जेजेपी-कांग्रेस नहीं बनाना चाहते सरकार

इससे कुछ दिन पहले जब तीन निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया था तो कांग्रेस और जेजेपी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर बहुमत परीक्षण की मांग की थी। इसके बाद एक बार फिर पूर्व सीएम मनोहरलाल खट्टर एक्टिव हो गए और उन्होंने जेजेपी के 6 विधायकों को अपने पाले में कर लिया। इस के बाद पार्टी में टूट और बगावत की आशंका को देखते हुए दुष्यंत ने बहुमत परीक्षण की मांग वापस ले ली। ऐसे में कांग्रेस ने भी सरकार बनाने का दावा करने की बजाय पुनः चुनाव करवाने की वकालत की। क्योंकि उसके पास इतने विधायक नहीं है कि वह अपने दम पर सरकार बना सके।

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इस बीच एक संवैधानिक अड़चन भी है। सीएम नायब सिंह सैनी ने मार्च में पद की शपथ ली और विधानसभा में 13 मार्च को बहुमत साबित किया। ऐसे में नियम है कि 6 महीने तक कोई विश्वास मत परीक्षण नहीं हो सकता है। यानी 13 सितंबर तक सैनी सरकार को कोई खतरा नहीं है।

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