Haryana Political Crisis: हरियाणा में गिरेगी बीजेपी की सरकार? जानें क्या है पूरा गणित?
Haryana BJP remains in Majority: लोकसभा चुनाव के बीच हरियाणा में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। मंगलवार को तीन निर्दलीय विधायकों ने सरकार से अपना सपोर्ट वापस ले लिया। रणधीर गोलन, सोमवीर सांगवान और धर्मपाल गोंदर ने आम चुनाव में कांग्रेस का प्रचार करने का ऐलान किया है। ऐसे में तीन विधायकों के निकलने से नायाब सिंह सैनी की सरकार अल्पमत में आ गई है। विपक्षी दलों ने फ्लोर टेस्ट की मांग की है। तो सवाल ये है कि क्या हरियाणा में बीजेपी सचमुच बहुमत खोने देगी या पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। तो आइए समझते हैं हरियाणा का गणित।
बीजेपी के पास कुल कितनी सीटें?
हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटे हैं। ऐसे में बहुमत साबित करने के लिए बीजेपी को 45 विधायकों का समर्थन चाहिए। 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 40 सीटों पर जीत हासिल की थी। उस दौरान समर्थन वापस लेने वाले तीन निर्दलीय विधायकों के अलावा दो अन्य निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत और राकेश दौलताबाद ने भी बीजेपी को सपोर्ट किया था। इसके अलावा हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा भी बीजेपी के साथ हैं।
कांग्रेस को मिलेगी हरियाणा की गद्दी?
हरियाणा में कांग्रस की मजबूत हो रही स्थिति बीजेपी के लिए चिंता का सबब बन गई है। राज्य में पहले ही कांग्रेस के 30 विधायक हैं। इसके अलावा जननायक जनता पार्टी (JJP) के 10 विधायक और बलराज कुंदु भी कांग्रेस के गुट में शामिल है। यही वजह है कि कांग्रेस बीजेपी के बहुमत खोने का दावा करते हुए खुद सत्ता बनाने की तैयारी कर रही है। मगर क्या ये खेल इतना आसान होने वाला है?
कितनी सीटों पर मिलेगा बहुमत?
हरियाणा की हाथ में आई सत्ता को बीजेपी इतनी आसानी से नहीं जाने देगी। बेशक भाजपा का कार्यकाल पूरा होने में कुछ महीने बचे हैं। इसी साल अक्टूबर में हरियाणा विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लेकिन अभी भी स्थिति काफी हद तक भाजपा के पक्ष में नजर आ रही है। दरअसल 90 विधानसभा सीटों में से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और विधायक रणजीत सिंह के बाद करनाल और रैना की सीट खाली है। इसलिए 88 सीटों में साधारण बहुमत यानी 44 विधायकों का समर्थन हासिल करके हरियाणा में सरकार बनाई जा सकती है।
बीजेपी के पास क्या है विकल्प?
हरियाणा में बहुमत बरकरार रखने के लिए बीजेपी के पास दो रास्ते हैं। पहला अगर 2019 की तरह जननायक जनता पार्टी (JJP) फिर से बीजेपी को समर्थन देगी तो पार्टी आसानी से बहुमत हासिल कर लेगी। इसके अलावा JJP के कुछ विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने की बात कही है। जाहिर है फ्लोर टेस्ट के दौरान अगर JJP के 2 विधायक भी ऐबस्टेन करते हैं तो बीजेपी आसानी से बहुमत अपने नाम कर लेगी।