87 साल की उम्र में 12वीं पास, 15 महीने में 3 इस्तीफे... ओम प्रकाश चौटाला का दिलचस्प राजनीतिक सफर
Om Prakash Chautala Political Journey : हरियाणा के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम ओम प्रकाश ने दुनिया को अलविदा कह दिया। इनेलो सुप्रीमो ने 89 साल की उम्र में गुरुग्राम में आखिरी सांस ली। पूरे देश में उनके निधन से शोक है। 87 साल की उम्र में 12वीं पास, 15 महीने में 3 इस्तीफे... आइए जानते हैं कि ओम प्रकाश चौटाला का राजनीतिक सफर कैसा रहा?
ओम प्रकाश चौटाला सिर्फ 12वीं तक पढ़े लिखे थे, लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए हरियाणा में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया था। ओम प्रकाश चौटाला ने 87 साल की उम्र में 12वीं की परीक्षा पास की थी। इससे पहले उन्होंने 10वीं का एग्जाम दिया था, लेकिन वे इंग्लिश का पेपर नहीं दे पाए। इसके बाद ओपी चौटाला ने इंग्लिश का सप्लीमेंट्री पेपर दिया, जिसमें उन्होंने 88 फीसदी नंबर प्राप्त किए।
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जानें कैसा रहा ओम प्रकाश चौटाला का राजनीतिक सफर?
साल 1968 में ओम प्रकाश चौटाला का राजनीतिक सफर शुरू हुआ था। वे अपने पिता देवीलाल की परंपरागत सीट ऐलनाबाद से पहला चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना पड़ा था। हालांकि, बाद में हाई कोर्ट ने जीते हुए प्रत्याशी लालचंद्र की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी। 1970 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ और वे जीत हासिल कर पहली बार विधानसभा पहुंचे।
पहली बार 1989 में बने थे सीएम
ओम प्रकाश चौटाला के पिता देवीलाल चौटाला साल 1987 में दूसरी बार सीएम बने थे, लेकिन दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में जनता दल को बहुमत मिला और वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने। इसके बाद वे डिप्टी पीएम बन गए और उन्होंने अपने बेटे ओम प्रकाश चौटाला को राज्य की कमान सौंप दी। ओम प्रकाश चौटाला दिसंबर 1989 में पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। वे तब राज्यसभा सदस्य थे।
महम हिंसा कांड में चौटाला को देना पड़ा था इस्तीफा
फरवरी 1990 में महम सीट पर वोटिंग के दौरान बूथ कैप्चरिंग हुई, जिस पर चुनाव आयोग ने महम सीट पर चुनाव कैंसिल कर दिए। इसे लेकर महम में दंगे हुए, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। संसद में यह मुद्दा उठा। इसके बाद गठबंधन के दबाव में वीपी सिंह ने ओम प्रकाश चौटाला से इस्तीफा लेकर बनारसी दास गुप्ता को सीएम बना दिया।
5 दिनों में चौटाला की गिरी थी सरकार
कुछ दिनों के बाद ओम प्रकाश चौटाला ने दड़बा सीट से जीत हासिल की। इस बीच 51 दिन के बाद बनारसी दास को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया और ओपी चौटाला दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि, वीपी सिंह नहीं चाहते थे कि जब तक महस केस चल रहा है तब तक वे ओम प्रकाश मुख्यमंत्री बने। ऐसे में उन्हें सिर्फ 5 दिनों में इस्तीफा देना पड़ा। मास्टर हुकुम सिंह को हरियाणा की सत्ता की कमान मिली।
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15 महीने में 3 बार इस्तीफा
नवंबर 1990 में हुए रथयात्रा विवाद को लेकर वीपी सिंह की सरकार गिर गई। जनता दल में दो फाड़ हो गई और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बन गए। चार महीने बाद देवीलाल ने मार्च 1991 को ओपी चौटाला को तीसरी बार हरियाणा की कमान सौंपी। उनके इस फैसले से कुछ विधायक ने पार्टी छोड़ दी, जिससे उनकी सरकार 15 दिनों में गिर गई और राष्ट्रपति शासन लग गया। ऐसे में 15 महीनों में ओम प्रकाश चौटाला को तीसरी बार सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था।