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बार-बार बोलने या बड़बड़ाने की आदत को न करें नजरअंदाज! ये है गंभीर बीमारी का लक्षण

Autism Spectrum Disorder: ऑटिज्‍म एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पीड़ित के दिमाग का विकास नॉर्मल से काफी अलग होता है, आइए इसके बारे में जान लेते हैं पूरी जानकारी..
09:31 AM May 02, 2024 IST | Deepti Sharma
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Autism Spectrum Disorder: ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पीड़ित को बातचीत करने में, पढ़ने-लिखने और समाज में मेलजोल बनाने में समस्याएं आती हैं। इसे मेडिकल भाषा में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorder) बोलते हैं। यह एक ऐसी कंडीशन है जिससे पीड़ित का दिमाग अन्य के मुकाबले अलग तरीके से काम करता है।

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वहीं, ऑटिज्म से पीड़ित भी एक-दूसरे से काफी अलग होते हैं। यानी कि अलग-अलग मरीजों में अलग-अलग लक्षण दिखते हैं। वैसे तो इस बीमारी से पीड़ित जॉब करने, फैमिली और फ्रेंड्स के साथ मेल-जोल करने में योग्य होते हैं, लेकिन कई बार उन्हें इसके लिए दूसरों की हेल्प लेनी पड़ती है।

कई स्टडीज में ऐसा देखा गया है कि डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट की मदद से लोगों को सामाजिक व्यवहार और नई स्किल्स सीखने में मदद मिलती है जिससे वे अपनी लाइफ बेहतर तरीके से जी पाएं।

ऑटिज्म के लक्षण

  • बार-बार बोलना या बड़बड़ाना
  • किसी चीज की तरफ इशारा करना
  • किसी और की हेल्प से चलकर दूसरों के पास जाना
  • आंखों में आंखें मिलाकर न देखना

ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों में लक्षण

  • दूसरे बच्चों से घुलने-मिलने से बचना
  • अकेले रहना
  • खेल-कूद में हिस्सा न लेना
  • चुपचाप बैठना
  • दूसरों से कांटेक्ट न करना
  • बातचीत के दौरान दूसरे के हर शब्द को दोहराना
  • सनकी व्यवहार करना
  • खुद को चोट लगाना या नुकसान पहुंचाना
  • गुस्सैल, बेचैन, अशांत और तोड़फोड़ मचाने जैसा व्यवहार करना
  • किसी काम को लगातार करते रहना
  • एक ही शब्द को लगातार दोहराना
  • दूसरे की फीलिंग्स को न समझना
  • दूसरों की पसंद-नापसंद को न समझ पाना
  • पुरानी स्किल्स को भूल जाना

ऑटिज्म के लिए कुछ घरेलू उपाय या नुस्खे हैं, जो इस समस्या को संभालने में मदद कर सकते हैं, लेकिन इसे मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह लेने के बाद ही आजमाएं।

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डाइट में बदलाव

ऑटिज्म के लक्षणों को कम करने में डाइट में बदलाव मददगार हो सकता है। कुछ लोगों के लिए ग्लूटेन या डेयरी प्रोडक्ट को खाने से लक्षण बढ़ सकते हैं, तो उन्हें इन्हें छोड़ने की कोशिश करें।

योग और प्राणायाम

ध्यान और प्राणायाम के अभ्यास से चिंता और तनाव को कम किया जा सकता है, जो ऑटिज्म के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

सेंसिटिविटी ट्रेनिंग

ऑटिज्म एक्सपर्ट के साथ काम करना और अपने बच्चे को सेंसिटिविटी का ट्रेनिंग देना सही रहता है।

एक्सरसाइज

रेगुलर एक्सरसाइज करना और शारीरिक क्रियाओं में सक्रिय रहना भी ऑटिज्म के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। यह सभी उपाय मददगार हो सकते हैं, लेकिन इसे शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

ये भी पढ़ें-  वर्चुअल ऑटिज्म क्यों और कैसे बच्चों के लिए खतरनाक

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