बच्चों के ब्रेन ट्यूमर पर रिसर्च में चौंकाने वाले परिणाम, ब्रेस्ट कैंसर की दवा होगी कारगर
Brain Tumor in Kids: ब्रेस्ट कैंसर और ब्रेन ट्यूमर दोनों ही जानलेवा बीमारियाँ हैं। बच्चों में भी ब्रेन ट्यूमर की समस्या बढ़ गई है। इस बीमारी की बात करें तो इसका इलाज करना काफी कठिन होता है, लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में खुलासा हुआ कि पहले से ही ब्रेस्ट कैंसर का इलाज कर रही एक दवा बच्चों में ब्रेन ट्यूमर का इलाज कर सकती है। जानिए रिसर्च में हुए खुलासों की पूरी जानकारी।
क्या था रिसर्च में?
वैज्ञानिकों के अनुसार, रिबोसिक्लिब नामक कैंसर की दवा पर एक शोध किया गया था। यह दवा बच्चों में ब्रेन ट्यूमर बढ़ने की गति को धीमा कर सकती है। इससे ब्रेन ट्यूमर के दुर्लभ प्रकार - डिफ्यूज हेमिसफेरिक ग्लियोमा का उपचार हो सकता है।
क्या है डिफ्यूज हेमिसफेरिक ग्लियोमा
यह एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जो मुख्यतः बच्चों को होता है। इस कैंसर में रीढ़ की हड्डी में समस्या, सांस लेने और शरीर का संतुलन बनाए रखने में परेशानी होती है।
कहां हुई थी रिसर्च?
ये रिसर्च लंदन के कैंसर रिसर्च संस्थान के बाल मस्तिष्क ट्यूमर विभाग में हुई थी। यहां के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी अन्य दुर्लभ बीमारी की दवा ने एक और दुर्लभ बीमारी में एक आशाजनक उम्मीद जगाई है।
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कैसे हुई थी रिसर्च
इस रिसर्च को वैज्ञानिकों ने ब्रेन ट्यूमर के एक विशिष्ट प्रकार पर किया था। H3F3A एक ऐसा जीन है जिस इसको लेकर अध्ययन किया गया था। जिसमें इस बात की पुष्टि हुई कि ब्रेस्ट कैंसर की दवा से तरकरीबन 30% तक बच्चों के इस ब्रेन ट्यूमर से निदान पाया जा सकता है।
brain tumor in kids
कैसे इस बात का पता लगा?
इसकी खोज इस प्रकार हुई कि कैंसर कि कुछ कोशिकाओं को एक नए अध्ययन के लिए रखा गया था। इसमें किसी तरह एक CDK6 नामक प्रोटीन पहुंचा। इस प्रोटीन में असामान्य गतिविधि देखने के बाद ही यह साबित हुआ कि इस दवा के प्रयोग से बच्चों के ब्रेन ट्यूमर की रोकथाम हो सकती है।
और क्या कहा?
हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि यह दवा केवल कैंसर कोशिकाओं की ग्रोथ को रोक सकती है। उन्हें नष्ट करने की शक्ति इस दवा में नहीं है। इसलिए इस दवा का प्रयोग इलाज के शुरुआती दिनों में किया जा सकता है।
क्या किसी पर इस दवा का प्रयोग किया गया?
फिलहाल इस दवा का इस्तेमाल एक मरीज पर किया गया है लेकिन अभी तक इसको लेकर पूरी तरह यह बात साबित नहीं हुई है कि इलाज सफल रहेगा या नहीं। हालांकि, रिसर्चर्स ने ये भी कहा कि पहले भी इस प्रकार के शोध हुए है जहां सीमित सफलता मिली है, इस बार वे उम्मीद कर रहे हैं कि यह परीक्षण सफल होगा।
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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।