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100 रुपये की गोली से कैंसर के इलाज का दावा! नई रिसर्च में बताई खासियत

Cancer Tablet: कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो इलाज के बाद दोबारा फैल सकती है। वहीं, टाटा मेमोरियल सेंटर ने दावा किया है कि ऐसी दवा बनाई है, जो कैंसर से लड़ने से  मदद करेगी। आइए इसके बारे में जान लेते हैं कि ये दवा कैसे काम करती है। 
12:40 PM Feb 28, 2024 IST | Deepti Sharma
कैंसर का नया इलाज Image Credit: Freepik
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Cancer Tablet: कैंसर आज भी लाइलाज बीमारी के समान ही है। शुरू की स्टेज में अगर उसकी पहचान हो जाती है, तो इलाज समय पर हो जाता है, लेकिन इसकी पहचान करना काफी मुश्किल होता है। वहीं, लास्ट स्टेज में मरीजों को ​कीमोथेरेपी के बाद भी जान बचने के चांस कम ही होते हैं। अब भारत में बढ़ रहे कैंसर के मामलों को देखते हुए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी गोली बनाई है, जो कैंसर का इलाज करने के साथ-साथ दूसरी बार कैंसर होने के खतरे को रोकने में हेल्प कर सकती है। अमेरिका और चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा कैंसर से ग्रस्त हैं।

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दवा पर रिसर्चर्स और डॉक्टरों ने क्या कहा

इंस्टीट्यूट के रिसर्चरों और डॉक्टरों ने इसपर 10 साल तक काम किया और अब एक ऐसी गोली विकसित की है जिसके बारे में उनका दावा है कि यह मरीजों में दूसरी बार कैंसर होने से रोकेगी और रेडिएशन के साथ-साथ कीमोथेरेपी जैसे ट्रीटमेंट्स के साइड इफेक्ट्स को भी 50% तक कम कर देगी।

चूहों पर हुआ टेस्ट

टाटा मेमोरियल अस्पताल के सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. राजेंद्र बडवे ने कहा कि रिसर्च के लिए चूहों में मानव कैंसर सेल्स डाली गईं, जिससे उनमें ट्यूमर बन गया। रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और सर्जरी के साथ इलाज किया गया और यह पाया गया कि जब ये कैंसर सेल्स मर जाती हैं, तो वे छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं जिन्हें क्रोमैटिन कण (Chromatin) कहा जाता है। ये कण ब्लड फ्लो के जरिए से शरीर के अन्य भागों में जा सकते हैं और जब वे हेल्दी सेल्स में अंदर जाते हैं, तो वे उन्हें कैंसरग्रस्त बना देते हैं।

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टाटा मेमोरियल सेंटर (TMC) ने अपनी रिसर्च में कहा कि मरने वाली कैंसर सेल्स सेल फ्री क्रोमैटिन कण छोड़ती हैं, जो हेल्दी सेल्स को कैंसर सेल्स में बदल सकती हैं। कुछ सीएफसीएचपी (CFCHP) हेल्दी क्रोमोसोम के साथ जुड़ सकते हैं और नए ट्यूमर का कारण बन सकते हैं।

क्या कहते हैं रिसर्चर 

यह टैबलेट कैंसर ट्रीटमेंट थेरेपी के साइड इफेक्ट्स को लगभग 50% तक कम कर देगी और दूसरी बार यह कैंसर को रोकने में लगभग 30% असरदार है। यह पेनक्रियाज, फेफड़े और मुंह के कैंसर पर भी असरदार हो सकता है।

टैबलेट की मंजूरी का इंतजार

टैबलेट को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India) से मंजूरी का इंतजार है। Tata Institute of Fundamental Research के वैज्ञानिकों ने इस टैबलेट को मंजूरी देने के लिए FSSAI के पास एप्लीकेशन भेजी है।

कब तक उपलब्ध होगी दवा 

जून-जुलाई से बाजार में उपलब्ध है। जहां इलाज का बजट लाखों से लेकर करोड़ों तक है, वहीं, यह टैबलेट मात्र 100 रुपये में हर जगह मिलेगी।

डॉक्टर ने आगे बताया कि साइड इफेक्ट का टेस्ट चूहों और इंसानों दोनों पर किया गया, लेकिन रोकथाम के लिए टेस्ट केवल चूहों पर किया गया। इसके लिए ह्यूमन ट्रायल पूरा करने में अभी लगभग पांच साल लगेंगे।

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Disclaimer: उपरोक्त जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट की राय अवश्य ले लें। News24 की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

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