एक शख्स ने कोरोना वैक्सीन के 200 से ज्यादा इंजेक्शन लगवाए, फिर क्या हुआ? रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे
Corona Vaccination Side Effect Research: कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जब से दुनिया में कोरोना काल शुरू हुआ और कोरोना से बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन बनी, जर्मनी का एक शख्स 217 बार कोरोना वैक्सीन का इंजेक्शन लगवा चुका है।
जर्मन शोधकर्ताओं ने इसे हाइपरवैक्सीनेशन बताया और उस शख्स की जांच की। उसके ब्लड सैंपल लेकर रिसर्च की कि 217 बार वैक्सीन की डोज लेने से उसके शरीर पर क्या असर पड़ा? रिसर्च में जो रिजल्ट सामने आए, उन्हें देखकर वैज्ञानिक भी चौंक गए।
ओवरडोज खतरनाक होती, यह धारणा गलत साबित हुई
रिसर्च और केस स्टडी 'द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज' जर्नल में प्रकाशित हुई। माना जाता है कि किसी भी चीज की अधिकता हानिकारक होती है। ऐसा ही कुछ दवाइयों को लेकर भी है। हाल ही में UK के एक बुजुर्ग की विटामिन-डी की ओवरडोज लेने से मौत हो गई थी।
कोरोना वैक्सीन की ओवरडोज भी खतरनाक हो सकती है, लेकिन जर्मनी ने शख्स ने इस धारणा को चुनौती दी है। रिसर्च से जुड़े किलियन शॉबर ने मामले के बारे में कई जानकारियां दी और बताया कि कैसे वे हाइपरवैक्सीनेशन कराने वाले शख्स से मिले।
मेडिकल रिसर्च टीम पुलिस के जरिए शख्स तक पहुंची
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शॉबर और उनकी टीम को 62 वर्षीय व्यक्ति के बारे तब पता चला, जब जर्मन पुलिस ने उसके खिलाफ धोखाधड़ी की जांच शुरू की। आरोप थे कि उसने 9 महीने के अंदर जबरन करोना वैक्सीन की 130 डोज लगवाईं, लेकिन उसके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज नहीं किया जा सकता था।
सबूत इकट्ठा करने के लिए उस शख्स का ब्लड टेस्ट कराने के लिए पुलिस ने डॉक्टरों से संपर्क किया, जिसने शख्स के बारे में जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने शख्स से डायरेक्ट संपर्क किया और उसे सैंपल देने के लिए मनाया।
हाइपरवैक्सीनेशन का कोई साइड इफेक्ट नजर नहीं आया
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शॉबर और उनकी टीम ने उस शख्स के ब्लड और लार के सैंपल लिए। इन सैंपलों की तुलना उन 29 लोगों के सैंपलों से की गई, जिन्होंने निर्धारित 3 डोज ली थीं। इस तुलना में जो रिजल्ट सामने आए, उनसे पता चला कि कोरोना वैक्सीन की ओवरडोज लेने से उसके शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ा।
क्लिनिकल टेस्टिंग में हाइपरवैक्सीनेशन से जुड़ी किसी तरह की असमान्यता या दुष्प्रभाव सामने नहीं आया। उस शख्स का इम्यून सिस्टम भी बिल्कुल नॉर्मल था। उसकी प्रतिरोधक क्षमता भी कम नहीं हुई। हालांकि वैक्सीनेशन से उसके खून में एंटीबॉडी लेवल बढ़ गया था, जो अब घटकर सामान्य स्तर पर आ गया है।