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Air Pollution में सांस लेना इन मरीजों के लिए खतरनाक, 5 लक्षण और बचाव के 9 तरीके

Delhi Air Pollution: दिल्ली में लगातार AQI का स्तर गिर रहा है। ऐसे में अस्थमा पीड़ितों की समस्याएं बढ़ सकती हैं। प्रदूषित हवा के छोटे कण नाक और मुंह से होते हुए फेफड़ों तक चले जाते हैं, जिससे इन लोगों की चिंता बढ़ जाती है। जानिए पॉल्यूशन में कैसे खुद को सुरक्षित रखें।
11:10 AM Oct 22, 2024 IST | Namrata Mohanty
Delhi Air Pollution
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Delhi Air Pollution: हर साल दिल्ली में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ता चला जाता है। इस साल भी AQI बुरी तरह से नीचे गिरा है। सोमवार से ही राजधानी की हवा जहरीली प्रतीत हो रही है। कई इलाकों में AQI 300 से ऊपर दर्ज किया गया है। WHO के मुताबिक, वायु का AQI 50 और उससे कम हो तो अच्छा, 51 से 100 को संतोषजनक, 101 से 200 को मध्यम, 201 से 300 को खराब, 301 से 400 को बहुत खराब और 401 से 500 तक हो तो गंभीर माना जाता है। दिल्ली का वायु प्रदूषण, जिसमें पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) अस्थमा के रोगियों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। फिलहाल, दिल्ली का AQI स्तर आज के दिन 334 तक पहुंचट चुका है। AQI का स्तर अस्थमा के लक्षणों को और भी ज्यादा बिगाड़ देता है।

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अस्थमा क्या है?

अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर स्थिति है जिसमें सांस नली में सूजन आ जाती है और बलगम बनने की स्थिति बढ़ जाती है। अस्थमा में आमतौर पर सांस लेना मुश्किल हो जाता है। खांसी, सांस फूलना और सांस छोड़ते समय सीटी जैसी आवाजें भी आ सकती हैं।

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वायु प्रदूषण कैसे अस्थमा के लक्षणों को बढ़ाता है?

1. सूजन- प्रदूषण, खास तौर पर छोटे पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5), फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, जिससे वायुमार्ग में सूजन हो सकती है। इससे अस्थमा के लक्षण और भी खराब हो सकते हैं, जिसमें घरघराहट, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और सीने में जकड़न शामिल है।

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2. अस्थमा के हमलों को ट्रिगर करना- ओजोन और पार्टिकुलेट मैटर जैसे पॉल्यूटेंट्स अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर करने का काम कर सकते हैं। हवा की खराब गुणवत्ता के संपर्क में आने पर अस्थमा से पीड़ित लोगों को अचानक और गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

3. फेफड़ों की कार्यक्षमता पर प्रभाव- वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से अस्थमा के रोगियों के फेफड़ों की प्रोसेसिंग कम हो जाती है, जिससे उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और अस्थमा की स्थिति गंभीर हो सकती है।

4. एलर्जी का बढ़ना- वायु प्रदूषण से एलर्जी भी बढ़ सकती है, जो अक्सर अस्थमा से जुड़ी होती है। प्रदूषित कण जैसे Pollen, एलर्जी के प्रति खतरे को बढ़ा सकते हैं, जिससे एलर्जी अस्थमा वाले व्यक्तियों के लक्षण और भी खतरनाक हो सकते हैं।

5. रेस्पिरेटरी इंफेक्शन- वायु प्रदूषण में ऐसे पदार्थ होते हैं जो आपके सांस लेने वाले तंत्र के लिए जहरीले होते हैं। जब आप इन पॉल्यूटेंट्स के संपर्क में आते हैं, तो यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का कारण बनता है और अस्थमा के लक्षणों को बढ़ाता है।

अस्थमा के मरीज कैसे रखें खुद को सुरक्षित

1.AQI की जांच करें- घर से बाहर निकलने से पहले एक बार ऑनलाइन साइट्स पर AQI चेक कर लें।
2.मास्क पहनें- घर से बाहर जाने से पहले मास्क पहनना ना भूलें, N95 मास्क आपकी सुरक्षा करेगा।
3.समय पर दवा लें- अस्थमा के मरीज इन दिनों अपनी दवाओं और खुराक से परहेज ना करें, थोड़ी भी कठिनाई महसूस हो तो इनहेलर का प्रयोग करें।
4.हमेशा इनहेल साथ रखें- वैसे तो अस्थमा के मरीजों को अपने साथ हमेशा ही Inhaler रखना चाहिए ताकि इमरजेंसी में काम आ सके, मगर प्रदूषण के दौरान गलती से भी इसे अपने साथ रखना ना भूले।
5.हाइड्रेशन- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि शरीर में पानी की कमी ना हो जाए।
6.एयर प्योरिफायर- घर की हवा भी प्रदूषित हो सकती हैं, इसलिए हवा को साफ रखने के लिए इन प्योरिफायर्स का इस्तेमाल करें।
7.घर की साफ-सफाई- अस्थमा के मरीजों को आम दिनों में भी अपने घर में धूल-मिट्टी जमने नहीं देना चाहिए। इन दिनों सफाई का ज्यादा ख्याल रखें।
8.बाहर जाने से बचें- अस्थमा के मरीजों को कोशिश करनी चाहिए कि वे इन दिनों ज्यादा बाहर ना निकलें, अगर बूढें- बुजुर्ग हैं तो मॉर्निंग वॉक से परहेज करें।
9.खिड़की-दरवाजों को बंद रखें- दिल्ली के मरीज अगले कुछ दिनों तक अपने घर के खिड़की-दरवाजों को बंद रखें।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

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