Delhi Pollution: प्रदूषण का दुष्प्रभाव! बढ़ रहा है इन 5 बीमारियों का खतरा; जानें कैसे करें बचाव
Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप -3 लागू हो गया है। बढ़ते पॉल्यूशन के कारण इसको लागू करने की जरूरत पड़ी है। इस समय दिल्ली का प्रदूषण सेहत के लिए काफी खतरनाक है। दिल्ली में PM 2.5 का लेवल 300 से ज्यादा हो चुका है। पीएम 2.5 यानी पार्टिकुलेट मैटर, हवा में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं, जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम होता है। ये वायु प्रदूषण के मुख्य कण होते हैं, जो हमारी सेहत पर गंभीर तरीके से प्रभाव डालते हैं। हमारी रिपोर्ट में जानिए कि वायु प्रदूषण से आपको किन-किन बीमारियों का जोखिम बढ़ता है तथा इससे बचाव के लिए क्या किया जा सकता है।
क्या है PM 2.5?
पीएम 2.5, जिसे पार्टिकुलेट मैटर भी कहते हैं, एक प्रकार का वायु प्रदूषण है, जो बहुत ही छोटे कणों के रूप में होता है। PM का अर्थ है कणिकाएं और 2.5 इसके आकार यानी साइज के बारे में बताता है। ये कण 2.5 माइक्रोमीटर या उससे भी छोटे हो सकते हैं। इनका आकार इतना छोटा होता है कि हम इन्हें अपनी आंखों से देख भी नहीं सकते हैं। ये कण हवा में घुलकर मानव शरीर में आसानी से प्रवेश कर लेते हैं।
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इन बीमारियों का बढ़ रहा है रिस्क
1. स्ट्रोक
दिल्ली की प्रदूषित हवा लोगों में स्ट्रोक का कारण बन रही है। पॉल्यूशन से स्ट्रोक इसलिए आता है क्योंकि ये छोटे कण मस्तिष्क के एक हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता हैं, जिससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बंद हो जाती है। यह ब्रेन सेल्स को डेड सिचुएशन में डालने लगता है, जिससे स्ट्रोक आने की संभावनाएं तेज हो जाती हैं।
2. लंग कैंसर
प्रदूषण में कई प्रकार के हानिकारक रसायन और कार्सिनोजेन्स नामक तत्व होते हैं, जो शरीर में प्रवेश करके कैंसर जैसे रोगों का कारण बन सकते हैं, खासतौर पर फेफड़े, पेट, और गले के कैंसर का खतरा बढ़ता है। पॉल्यूशन से लंग कैंसर का रिस्क सबसे अधिक इसलिए है क्योंकि हवा के जहरीले कण फेफड़ों में जम जाते हैं, जहां से उनका बाहर निकलना कठिन होता है। यह कण वाहन के धुएं, फैक्ट्री वेस्ट और केमिकल गैस होते हैं, जो कैंसर के रिस्क को बढ़ाने में अपना पूरा योगदान देते हैं।
3. रेस्पिरेटरी इंफेक्शन
दिल्ली पॉल्यूशन से सांस से जुड़ी बीमारियों का रिस्क भी तेज हो जाता है। प्रदूषण, विशेष रूप से धुएं और पीएम 2.5 के कारण अस्थमा की समस्याएं बढ़ सकती हैं। ब्रोंकाइटिस, यह भी श्वास नली से संबंधित एक गंभीर बीमारी है, जो फेफड़ों को भी संक्रमित करती है। इसके अलावा, COPD, जो लगातार प्रदूषण के संपर्क में रहने से होती है।
4. हृदय संबंधी बीमारियां
पॉल्यूशन से हार्ट की ब्लड वेसल्स पर प्रभाव पड़ता है, जिससे हाई बीपी, दिल की धड़कन में अनियमितता, और हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ सकता है। इसके अलावा, श्वास नली और रक्तवाहिकाओं में सूजन के कारण भी दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के मामले बढ़ सकते हैं।
5. स्किन और आंखें
प्रदूषण से आंखों और त्वचा पर भी गहरा असर पड़ता है। इससे स्किन में जलन, एलर्जी, और दाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं, आंखों में भी जलन, खुजली और पानी आना जैसी मुश्किलें हो सकती हैं।
कैसे करें बचाव?
- सबसे पहले तो, इन दिनों बिना मास्क पहने घर से बाहर निकलने से बचें।
- कोशिश करें कि आप घर के अंदर ही रहें।
- बाहर जाएं, तो चश्मा भी पहनें ताकि आंखें सेफ रहें।
- ध्रूमपान करने से बचें।
- घर के अंदर एयर प्यूरिफायर लगवाएं।
- धूल-मिट्टी को घर में न आने दे तथा खुद ऐसी जगहों से दूर रहें।
- स्वस्थ आहार और भरपूर पानी पिएं।
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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।