क्या Scented Candles से आपकी हेल्थ पर पड़ता है बुरा असर, जानें पूरी डिटेल
अक्सर जब हम स्पा, मेडिटेशन या किसी थेरेपी सेशन के लिए जाते हैं तो माहौल को बेहतर बनाने के लिए वहां आपको सेंटेड कैंडल्स जलती हुई मिल जाती हैं। इसके अलावा सर्दियों के दौरान अक्सर घरों में भी लोग आरामदायक माहौल बनाने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। इसमें अलग-अलग फ्लेवर जैसे जिंजरब्रेड, दालचीनी और पाइन जैसे ऑप्शन मिलते हैं। फिलहाल क्रिसमस के चलते भी आजकल सेंटेड कैंडल्स की मांग बढ़ गई है, लेकिन क्या ये प्रोडक्ट हमारे घरों में एयर क्वालिटी को बेहतर बनाने में मदद करता है? या हमारी हेल्थ को प्रभावित करता है। आइए इसके बारे में जानते हैं।
स्वास्थ्य पर क्या असर?
सेंटेड कैंडेल्स, एयर फ्रेशनर और अगरबत्ती जैसे प्रोडक्ट भले ही गंध को छिपा सकते हैं और इनडोर लोकेशन की स्मेल को बेहतर बना सकते हैं - लेकिन वे हानिकारक इनडोर पोल्यूटेंट को नहीं हटाते हैं। एक रिसर्च में पता चला है कि कुछ सेंटेड प्रोडक्ट इनडोर एयर क्वालिटी के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
यूनिवर्सिटी कॉलेज कॉर्क और मार, आयरलैंड के रिसर्चर्स ने अपने दो रिसर्च की जिसमें एनर्जी रेट्रोफिट के बाद घरों की जांच की और पाया कि कैंडल जलाने, धूम्रपान करने और दीवार के वेंट को ब्लॉक करने से इनडोर एयर क्वालिटी बुरी तरह से प्रभावित होती है।
रिसर्च में मिली जानकारी
सेंटेड कैंडल्स या धूम्रपान जब बंद वेंट और बंद खिड़कियों के साथ किया जाता है, तो घर के मेंबर्स के लिए इनडोर एयर पोल्यूटेंट के सीधे संपर्क में आते हैं। मान लीजिए कि आप सेंटेड कैंडल्स का उपयोग कर रहे हैं तो ऐसे में मैक्सिमम फाइन पार्टिकल कंसंट्रेशन अपनी निर्धारित सीमा से 15 गुना तक बढ़ सकता है। ऐसे में कम हवादार कमरों में इसको सामान्य स्तर पर लौटने में कुछ समय लगा।ॉ
होंगी कई समस्याएं
कैंडल या अगरबत्ती जलाने से केमिकल और पार्टिकल मेटर का एक कॉम्प्लेक्स मिक्सचर बनता है, जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन के ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें शामिल हैं। इसके अलावा होम फ्रैगरेंस का इस्तेमाल करने से वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (volatile organic compounds ) भी जनरेट होते हैं, जो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। पार्टिकल मेटर खांसी और छींक, आंखों, नाक, गले और फेफड़ों में जलन जैसी परेशानियां पैदा कर सकते हैं।
अगर आप लंबे समय तक इनके संपर्क में रहते हैं तो आपको हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस का खतरा बढ़ सकता है। पार्टिकल मेटर अस्थमा पेशेंट के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। अगर सिगरेट और अगरबत्ती को बराबर वजन में जलाया जाए, तो अगरबत्ती सिगरेट की तुलना में लगभग चार गुना ज़्यादा पार्टिकुलेट मैटर पैदा करती है। धूम्रपान न करने वाले घरों में मोमबत्ती का इस्तेमाल पार्टिकुलेट मैटर पॉल्युशन का मुख्य सोर्स हो सकता है।
मोमबत्ती की टिमटिमाती लौ से ज्यादा बड़े पार्टिकल बनती हैं, जिससे ब्लैक कार्बन का उत्सर्जन बढ़ सकता है। छोटे बाथरूम या बेडरूम में सेंटेड कैंडल्स या एयर फ्रेशनर का इस्तेमाल करने से हमारे लिए स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं। बता दें कि एयर फ्रेशनर के संपर्क में आने से माइग्रेन, अस्थमा के दौरे और डर्मेटाइटिस जैसी हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं।
नेचुरल प्रोडक्ट है सुरक्षित?
हालांकि मार्केट में बहुत से ब्रांड्स ये दावा करते हैं कि उनकी कैंडल्स नेचुरल है, लेकिन जलने पर, नेचुरल प्रोडक्ट भी प्रदूषण को बढ़ना जारी रखते हैं। इससे निकलने होने कुछ केमिकल कमरे की हवा में मौजूद ओजोन के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं, जिससे ऐसे प्री -प्रोडक्ट बनते हैं जो जहरीले भी हो सकते हैं।
जबकि घर में खुशबू वाले उत्पादों का उपयोग बढ़ रहा है, उत्पादों पर शोध सीमित है, इसलिए हम अभी तक हवा की गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर उनके पूर्ण प्रभाव की सीमा नहीं जानते हैं। यह भी संभव है कि कुछ प्रतिकूल प्रभाव केवल वर्षों तक लगातार संपर्क में रहने के बाद ही दिखाई दें।