Plastics बन सकते हैं हार्ट अटैक का कारण, स्टडी में सामने आया चौंकाने वाला खुलासा
Plastic Bottle And Heart Attack: प्लास्टिक हमारे मॉडर्न लाइफस्टाइल का एक तरह से अहम हिस्सा है, आजकल जहां भी देखो वहां प्लास्टिक ही दिखता है, चाहे आप रसोई के डब्बे देख लें या मार्केट में बिकने वाला हर एक समानों में आधी चीजें प्लास्टिक की ही पाई जाती हैं और इसमें ज्यादातर आप पानी की बोतल को ही देखते हैं। कप, प्लेट, स्ट्रॉ हर चीज पर प्लास्टिक ने अपना कब्जा जमा रखा है। लगभग हर चीज में प्लास्टिक के पैकेट मिलते हैं।
एक स्टडी में पाया गया कि इसी वजह से हार्ट अटैक का जोखिम काफी बढ़ता है। अगली बार जब आप प्लास्टिक की बोतलबंद पानी लें या पॉली में लिपटी हुई सब्जियां ऑनलाइन ऑर्डर करें या मछलियां खरीदें, तो याद रखें कि आप जो पानी पीते हैं या जो भी खाते हैं, वह आपके शरीर में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक को भेज रहा है। इससे भी बुरी बात यह है कि जब ये माइक्रोप्लास्टिक आपके ब्लड फ्लो में तैरते हैं, तो वे हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को 4.5 गुना तक बढ़ा सकते हैं।
क्या कहती है स्टडी
इटली के कैंपानिया यूनिवर्सिटी के एक नई स्टडी और न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (The New England Journal of Medicine) में प्रकाशित, में बताया गया कि लोगों की आर्टरीज के अंदर माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है, जो पांच मिलीमीटर से कम प्लास्टिक के टूटे हुए टुकड़े हैं। डॉक्टरों ने 304 मरीजों की आर्टरीज के अंदर प्लाक या फैट जमा होने की जांच की और पाया कि उनमें से 50% से ज्यादा में माइक्रोप्लास्टिक समाया हुआ था। ये कैरोटिड आर्टरीज में विकसित होते हैं, ये मुख्य ब्लड वेसल्स हैं जो गर्दन, चेहरे और दिमाग को खून की आपूर्ति करती हैं। इतना ही नहीं, क्लोजिंग पार्टिकल्स ने केवल 3 सालों के भीतर ब्लॉकेज और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा दिया है।
अब यह साफ है कि हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, मोटापा और डायबिटीज जैसे जोखिम फैक्टर के बाद माइक्रोप्लास्टिक्स एक और खतरा है। सबसे चिंता की बात यह है कि हम मुंह में जो कुछ भी डालते हैं, उसके जरिए हम अनजाने में माइक्रोप्लास्टिक को निगल रहे हैं।
माइक्रोप्लास्टिक कैसे बाधा पैदा करता है?
एक बार जब माइक्रोप्लास्टिक आपकी आर्टरीज में चले जाते हैं, तो वे इम्यूनिटी को बाहरी खतरा समझकर उन पर हमला करते हैं। इसके कारण सूजन हो सकती है, जो समय के साथ ब्लड वेसल्स की परत को नुकसान पहुंचाती है। सूजन स्वाभाविक रूप से आर्टरीज को सिकोड़ देती है, जिससे ब्लड फ्लो में बाधा आती है और एक समय में ये इतना कम हो जाएगा कि हार्ट अटैक हो सकता है। हाल की स्टडी के अनुसार, एक लीटर बोतलबंद पानी में सात प्रकार के प्लास्टिक से औसतन 240,000 प्लास्टिक कण होते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक कैसे हमारे शरीर में आ सकता है?
जब पॉलिथीन में लिपटे फल और सब्जियां खाते हैं और प्लास्टिक की बोतल से पानी पीते हैं तो हम अक्सर माइक्रोप्लास्टिक निगल लेते हैं। पानी सबसे आसान जरिया है, क्योंकि यह प्लास्टिक पाइपों से होकर गुजरता है और इस प्रोसेस में कुछ रेशों को तोड़ देता है। झीलों, नदियों और समुद्रों में प्लास्टिक का मतलब है कि वे पानी में टूट जाते हैं जिसे मछलियां, विशेष रूप से शेलफिश निगलती हैं और जब उन मछलियों को पकाते और खाते हैं, तो वे गलती से निगल लेते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक से कैसे बचाव करें
आज का समय देखकर तो यही लगता है कि माइक्रोप्लास्टिक से पूरी तरह छुटकारा पाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन लोगों को कुछ बदलाव करने की जरूरत है, जिनमें अन्य आबादी के मुकाबले कम से कम एक दशक पहले दिल की बीमारी विकसित होने का खतरा होता है। नेचुरल फाइबर की पैकेजिंग चुनें, अच्छी क्वालिटी के पानी फिल्टर का उपयोग करें, सब्जियां ऑफलाइन खरीदें और प्लास्टिक डिस्पोजेबल को ग्लास, स्टील या यहां तक कि सिलिकॉन जैसे विकल्पों से बदलें। प्लास्टिक के कंटेनर में खाना माइक्रोवेव न करें। पॉलीथीन (पीई) या पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी) जैसे माइक्रोप्लास्टिक्स प्रोडक्टस की लेबलिंग की जांच करें।
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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य ले लें। News24 की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।