Jatamansi Uses: जटामांसी क्या है, कैसे करें इस्तेमाल, जानिए इसके स्वास्थ्य लाभ और नुकसान
Benefits and Side Effects of Jatamansi: जटामांसी एक औषधीय पौधा माना जाता है। इसे आयुर्वेदिक जड़ी बूटी भी कहा जाता है, इसमें एक तेज सुगंध होती है जो इसकी पहचान करवाती है। पुराने समय में लोग इसका कई प्रकार से इस्तेमाल करते थे, जैसे बीमारी और इन्फेक्शन से बचने के लिए। आयुर्वेदिक उपचार में आज भी दिमागी बीमारी ठीक करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इस जड़ी बूटी के भी कुछ अपने फायदे और नुकसान हैं, चलिए जानते हैं।
जटामांसी के फायदे
सफेद बालों की समस्या और गंजापन दूर करें
सफेद बालों की समस्या और गंजेपन से जूझ रहे लोगों को जटामांसी का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए आपको समान मात्रा में जटामांसी, बला, कमल तथा कूठ जैसी अन्य जड़ी बूटियों को पीसकर एक लेप बनाएं। इस लेप को नियमित लगाने से ये समस्या दूर की जा सकती है।
सिरदर्द से छुटकारा
अगर किसी को हमेशा सिरदर्द की समस्या रहती है तो उनके लिए ये बड़ा फायदेमंद है। ये लोग दवाओं की जगह जटामांसी यूज कर सकते हैं, सिरदर्द के लिए जटामांसी का पाउडर पीसकर अपने माथे पर लगाना चाहिए।
आंखों के लिए फायदेमंद
जटामांसी आंखों की समस्या जैसे आंखें लाल होना, दर्द, रतौंधी होना, इससे निजात पाने के लिए ये नुस्खा अपनाए। पयां पेड़ के पत्ते, मुलेठी और जटामांसी को ठंडे पानी में पीसकर छान लें। इस पानी से आंखों को धोएं।
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हिचकी रोके
हिचकी की दिक्कत से छुटकारा पाने के लिए ऐसे करें जटामांसी का इस्तेमाल। हल्दी, तेजपत्ता और जटामांसी को पीसकर पाउडर बना लें, इस पाउडर के धुआं लेने से हिचकी बंद हो जाएगी।
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खांसी के लिए
खांसी ठीक करने के लिए जटामांसी का ये घरेलू नुस्खा बच्चों और बड़ों सभी के लिए असरदार होगा। इसके लिए आपको जटामांसी का पाउडर गुनगुने दूध में डालकर, उसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर पीना चाहिए।
कैसे किया जाता है यूज?
हालांकि, इसका इस्तेमाल करने का तरीका हर समस्या में अलग हो सकता है लेकिन यहां हम आपको कुछ कॉमन तरीके बता रहे हैं। जटामांसी का पाउडर मार्केट में आसानी से उपलब्ध है, इसे आप गुनगुने पानी या दूध के साथ ले सकते हैं। जटामांसी का काढ़ा भी बनाकर पिया जा सकता है। इसकी कैप्सूल भी मिल जाती है, मगर इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर किया जाता है।
ये होते हैं जटामांसी के नुकसान
जटामांसी भले ही फायदेमंद जड़ी बूटी हो लेकिन इसका जरूरत से ज्यादा सेवन शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसकी ज्यादा डोज से शरीर की नर्व्स कमजोर हो जाती है। कई बार ये हमारे दिमाग के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। जटामांसी ज्यादा लेने से गुर्दे को भी नुकसान होता है, हाई बीपी वाले मरीजों को भी इसका सेवन संभल कर करना चाहिए। कुछ लोगों को जटामांसी खाने से स्किन इन्फेक्शन की दिक्कत का भी सामना करना पड़ सकता है। महिलाओं को पीरियड्स के दौरान भी जटामांसी का सेवन नहीं करना चाहिए।
भारत में कहां पाई जाती है जटामांसी?
जटामांसी पहाड़ी और ठंडे इलाकों में होती हैं। भारत में ये उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश तथा सिक्किम के कुछ इलाकों में मिलती है। इसके अलावा नेपाल, भूटान में भी यह जड़ी बूटी पाई जाती है।
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