क्या लिवर डोनेट करना जानलेवा है? जानें अंगदान के बाद कितनी छोटी हो जाती जिंदगी
Risks After Liver Transplant: अंगदान महादान है और अकसर लोग अंगदान करके जरूरतमंदों को नई जिंदगी देते हैं। ऐसा ही एक अगंदान मध्य प्रदेश के इंदौर जिले की रहने वाली 17 साल की नाबालिग लड़की ने किया है। उसने अपना लिवर अपने पिता को डोनेट किया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जीवित लिवर दान करना सेफ है? जब एक अंग या एक अंग के किसी हिस्से को जीवित व्यक्ति से निकाल लिया जाता है और दूसरे व्यक्ति में लगा दिया जाता है, जिसका वह अंग खराब हो चुका है तो इस प्रोसेस को लिविंग डोनर ट्रांसप्लांटेशन कहा जाता है।
लिवर ट्रांसप्लांट भी एक तरह का प्रोसेस है, जिसमें पूरे लिवर या लिवर का एक हिस्सा लेकर खराब लिवर वाले व्यक्ति में ट्रांसप्लांट किया जाता है। वहीं 6 महीने के बाद लिवर अपनी कमी को खुद पूरा कर लेते हैं। इसका मतलब यह है कि लिवर के टिशू अपने-अपने बनने लगते हैं। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का 75% लिवर डैमेज हो चुका है। पिछले 22 सालों से वे 25% लिवर के साथ जी रहे हैं।
लिवर फिर से करता है ग्रोथ
मेडिकल रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, लिवर का एक हिस्सा दान करने के बाद लिवर कुछ ही महीनों में फिर से विकसित हो जाता है और नॉर्मल काम करता है। जिन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, उनमें ज्यादातर मृतक दाता से ऑर्गन डोनेशन के लिए महीनों या सालों तक इंतजार करते हैं, लेकिन जिंदा व्यक्ति से अंगदान के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता है, अब ऑर्गन डोनर मिलना चाहिए।
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लिवर का कितना हिस्सा जरूरी?
कैनेडियन लिवर फाउंडेशन के अनुसार, लिवर शरीर के लिए 500 तरह के काम करता है। इनमें एनर्जी देना, इन्फेक्शन और टॉक्सिन से बचाव करना, खून का थक्का जमने में मदद करना और हार्मोन को कंट्रोल करना जैसे काम भी शामिल हैं। इससे एक बात तो पता चल जाती है कि लिवर से जुड़ी समस्याओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, 12% लिवर के साथ भी इंसान लाइफ जी सकता है।
जिंदा लिवर दान करना सेफ?
जिंदा लिवर दान करने के लिए सर्जरी के 6 महीने के भीतर अपने उसी साइज में वापस आ जाता है। किसी भी सर्जरी की तरह, इस प्रोसेस में कुछ जोखिम होते हैं, लेकिन कुल मिलाकर जिंदा लिवर दान करना सुरक्षित है।
फर्टिलिटी संबंधी समस्याएं
अपने लिवर का एक हिस्सा दान करने से गर्भवती होने या बच्चे को जन्म देने में कोई परेशानी नहीं होती है। लिविंग डोनेशन से महिलाओं या पुरुषों में फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं नहीं होती है। फिर भी, महिलाओं को गर्भवती होने से पहले अपनी सर्जरी के बाद एक साल तक इंतजार करना चाहिए। इससे आपके शरीर को ठीक होने के लिए जरूरी समय मिल जाता है।
ऑर्गन डोनेट करते समय किन बातों का रखें ध्यान?
ऑर्गन डोनेट करने के लिए सबसे पहले हेल्दी होना जरूरी है। ब्रेन डेड व्यक्ति को HIV, कैंसर, डायबिटीज, किडनी और दिल की कोई समस्या न हो। ऑर्गन डोनेशन 2 तरीके होता है। पहला- जिंदा रहते हुए व्यक्ति बॉडी के कुछ हिस्से जैसे किडनी और बोन मैरो डोनेट कर सकता है। दूसरा ब्रोड डेड डोनेशन यानी जब यह तय हो जाए कि ब्रेन मर चुका है तो लंग्स, किडनी, लिवर, ओवरी, पैंक्रियाज, आंखें, हड्डियां और स्कीन को किसी दूसरे शरीर में ट्रांसप्लांट कर सकते हैं।
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