Mpox को लेकर फैल रहे हैं कई झूठ! कितनी खतरनाक है ये बीमारी? जानिए Myths और Facts
Mpox Myths And Facts : एमपॉक्स जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था, अब पूरी दुनिया इस बीमारी को लेकर चर्चा कर रही है। अफ्रीकी देशों में तेजी से फैल रही यह वायरल बीमारी तेजी से फैलती है और इसका असर हर तरह के क्षेत्र में हो सकता है। इस वजह से इस बीमारी को काफी खतरनाक माना जा रहा है। इसे लेकर लक्षण, बचने के तरीके और अवेयरनेस फैलाई जा रही है। इस बात में कोई शक नहीं है कि एमपॉक्स बीमारी कई चुनौतियां पेश करती है। खास तौर पर ऐसे इलाकों में स्थिति गंभीर हो सकती है जहां हेल्थकेयर के रिसोर्सेस लिमिटेड हैं। लेकिन, इसी के साथ इस बीमारी को लेकर कई गलत जानकारियां भी सामने आ रही हैं। जैसा कि कहा जाता है कि गलत जानकारी सबसे खतरनाक बीमारी होती है, वैसा ही कुछ इस बीमारी के मामले में भी हो रहा है।
1. एमपॉक्स और स्मालपॉक्स दोनों एक ही हैं
एमपॉक्स और स्मालपॉक्स जिन वायरस की वजह से होते हैं वह रिलेटेड जरूर हैं लेकिन दोनों बीमारियां एक दूसरे से बहुत अलग हैं। स्मालपॉक्स के मुकाबले एमपॉक्स आम तौर पर कम संक्रामक और कम गंभीर होता है। दोनों के लक्षणों में कई समानताएं देखने को मिलती हैं लेकिन दोनों में बचाव और इलाज के तरीकों में काफी अंतर रहता है।
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2. ये बीमारी सिर्फ अफ्रीकी लोगों को होती है
अफ्रीका के कई हिस्सों में यह बीमारी तेजी से फैल रही है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि यह कहीं और नहीं पहुंच सकती। अमेरिका और यूरोप में भी इसके मामले सामने आए हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार ऐसे किसी भी व्यक्ति को यह बीमारी हो सकती है जो इससे संक्रमित किसी व्यक्ति या फिर जानवर के करीबी संपर्क में आता है।
3. एमपॉक्स सिर्फ बंदरों से ही फैल सकता है
इस बीमारी का नाम मंकीपॉक्स है और इससे कई भ्रम पैदा होते हैं। बंदर इस वायरस के कैरियर जरूर होते हैं लेकिन माना जाता है कि चूहों-गिलहरियों जैसे रोडेंट (कृंतक) जानवरों इसके प्राथमिक स्रोत होते हैं। इंसानों को यह खतरनाक बीमारी संक्रमित जानवरों या फिर संक्रमित इंसानों के डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में आने से हो सकती है।
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4. अगर यह बीमारी हुई तो मौत होनी तय है
ध्यान रखें कि एमपॉक्स हमेशा जानलेवा नहीं होता। इससे संक्रमण के अधिकांश मामले माइल्ड होते हैं और उचित मेडिकल केयर से अधिकांश लोग ठीक हो जाते हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में मौत हो सकती है। खासकक छोटे बच्चों, गर्भवतियों और ऐसे लोगों को खतरा ज्यादा होता है जिनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है।
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