मोबाइल-टीवी ज्यादा देखने वाले सावधान! Popcorn Brain 5 तरीकों से डाल रहा मेंटल हेल्थ पर असर
Popcorn Brain Definition And Tips To Fix It: इस डिजिटल दुनिया में व्यक्ति कभी खाली नहीं रहता। उसके हाथ में कभी फोन होता है या तो टीवी का रिमोट। इसके तेजी से चल रही दुनिया में कई लोग ऐसे हैं जिनका दिमाग एक जगह नहीं रुकता और बार-बार दूसरी चीजों की तरफ भाग रहा होता है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो आप पॉपकॉर्न सिंड्रोम के शिकार हो सकते हैं। यहां जानिए वह पांच तरीके जिनसे यह आपकी मेन्टल हेल्थ पर प्रभाव डाल रहा है।
क्या होता है पॉपकॉर्न ब्रेन?
एक रिसर्च कहती है कि जब किसी व्यक्ति का ध्यान बनाये रखने का टाइम स्पैन कम हो जाता है तो वह पॉपकॉर्न सिंड्रोम का शिकार माना जा सकता है। जहां 2004 तक टीवी देखते हुए इसकी स्क्रीन कुछ देखने के लिए औऱ चैनल बदलने के लिए ढाई मिनट लगाते थे। वहीं, 2012 में ये टाइम स्पैन कम होकर सवा मिनट हो गया। इस समय तो एक व्यक्ति मोबाइल या टीवी की स्क्रीन पर सिर्फ 47 सैकेंड तक ही टिक पाटा है यानी महज 47 सेकेंड बाद उनका दिमाग दूसरी किसी चीज को देखने या सुनने की मांग करता है।
What Is Popcorn Brain? “Scrolling through social media can lead to what's colloquially termed 'popcorn brain,' a state characterized by distraction, impulsivity, and a diminished attention span,” explains clinical psychologist Sanam Hafeez, PsyD.#PopcornBrain #socialmedia pic.twitter.com/sV1MipmiDw
— Bnz English (@BnzEnglish) March 8, 2024
एक पॉपकॉर्न की तरह उछलने वाला यह दिमाग हर सैकेंड पर बदलकर एक से दूसरी चीज पर कूद रहा है। इसका मतलब साफ है कि उसका फोकस और पेशेंस नदारद हो गया है। पॉपकॉर्न की तरह उछल-उछल कर फोकस से हटने वाले दिमाग को कई तरह की परेशानियां देखनी पड़ रही हैं।
डॉ मजहर अली, सलाहकार-मनोचिकित्सा, केयर हॉस्पिटल, बंजारा हिल्स, हैदराबाद ने बताया कि पॉपकॉर्न दिमाग निरंतर मल्टीटास्किंग के संज्ञानात्मक प्रभाव को संदर्भित करता है, विशेष रूप से सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल से प्रभावित होता है। सोशल मीडिया दिमाग को कई तरीकों से प्रभावित करता है। इससे ध्यान देने का टाइम पीरियड कम हो सकता है क्योंकि लगातार स्क्रॉलिंग और छोटे आकार के कंटेंट की तेजी से खपत क्विक एक्ससिटेमेंट की इच्छा को मजबूत करती है। इसके अलावा, ऑनलाइन प्रेजेंस बनाए रखने का दबाव और दूसरों के साथ तुलना, तनाव और चिंता को बढ़ाने में योगदान दे सकती है।
पॉपकॉर्न ब्रेन के लक्षण
पॉपकॉर्न ब्रेन आपकी प्रोडक्टिविटी को प्रभावित कर सकता है और आपको फोकस करने में मुश्किल हो सकती है। यह आपको वास्तविक दुनिया से भी अलग कर सकता है और एक्स्ट्रा तनाव दे सकता है।
डॉ. मजहर अली के मुताबिक, यह पांच संकेत बताते हैं कि आप पॉपकॉर्न ब्रेन का अनुभव कर रहे हैं:
1. लगातार ध्यान भटकाना: बार-बार रुकावट या नोटिफिकेशन चेक करने की इच्छा के कारण ध्यान केंद्रित रखने में कठिनाई।
2. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: किसी एक काम पर गहन, निरंतर ध्यान केंद्रित करने के लिए संघर्ष करना।
3. कामों में जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस लेना: जानकारी और कामों से भारी महसूस होने एहसास, जिससे तनाव और अराजकता की भावना पैदा होती है।
4. सोशल मीडिया के माध्यम से ही वेलिडेशन: सोशल मीडिया इंटरैक्शन से लगातार वेलिडेशन या खुद की कीमत की तलाश करना।
5. लगातार व्यवसाय: मल्टीटास्किंग की वजह से जरुरी कामों को पूरा किए बिना बिजी रहने की फीलिंग का लगातार अनुभव करना।
पॉपकॉर्न ब्रेन कैसे सही कर सकते हैं
पॉपकॉर्न ब्रेन को ठीक करने के लिए, डॉ. मजहर द्वारा सुझाए गए दिए गए चरणों को लागू करने पर विचार करें:
1. सोशल मीडिया के लिए टाइम लिमिट निर्धारित करें: लगातार नोटिफिकेशन चेक करने को रोकने के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल के लिए एक टाइम लिमिट सेट करें।
2. माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस करें: फोकस बढ़ाने और मानसिक अव्यवस्था को कम करने के लिए ध्यान जैसी माइंडफुलनेस तकनीक विकसित करें।
3. एक संरचित रूटीन बनाएं: अलग-अलग गतिविधियों के लिए सही टाइम ब्लॉक के साथ डेली शेड्यूल बनाएं।
4. कामों को प्राथमिकता दें: कामों को पहचानें और प्राथमिकता दें, पहले ज्यादा प्राथमिकता वाली चीजों पर ध्यान रखें।
5. रेगुलर ब्रेक लें: अपने दिमाग को तरोताजा करने, थकान को रोकने और प्रोडक्टिविटी में सुधार करने के लिए अपने डेली रूटीन में ब्रेक को शामिल करें।