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क्या स्त्री और पुरुष के बिना बच्चे पैदा हो सकते हैं? वैज्ञानिकों ने किए चौंकाने वाले खुलासे…

Can babies be born without a male and a female? वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि स्त्री और पुरुष के बिना बच्चे पैदा करना अगले 10 सालों में हकीकत बन सकता है। हालांकि, इसे पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी साबित करने के लिए अभी और शोध और परीक्षण की आवश्यकता है।
07:32 PM Jan 29, 2025 IST | Amit Kasana
क्या स्त्री और पुरुष के बिना बच्चे पैदा हो सकते हैं  वैज्ञानिकों ने किए चौंकाने वाले खुलासे…
प्रतिकात्मक फोटो

Can babies be born without a male and a female? क्या आपने कभी ऐसी दुनिया की कल्पना की है जहां पुरुषों या महिलाओं को बच्चे पैदा करने की कोई जरूरत न हो? हालांकि यह किसी साइंस फिक्शन फिल्म की कहानी की तरह लग सकता है, लेकिन विज्ञान इसे हकीकत बनाने के कगार पर है।

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दरअसल, ब्रिटेन के ह्यूमन फर्टिलाइजेशन एंड एम्ब्रियोलॉजी अथॉरिटी (HFEA) ने हाल ही में एक ऐसा अभूतपूर्व खुलासा किया है जिसने दुनिया को चौंका दिया है। संगठन के अनुसार वैज्ञानिक प्रयोगशाला में अंडे और शुक्राणु विकसित करने की तकनीक को हकीकत में बदलने के बहुत करीब है। इन विट्रो गैमेट्स (IVG) के नाम से जानी जाने वाली यह तकनीक भविष्य में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।

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क्या होता है IVG तकनीक?

IVG एक ऐसी तकनीक है जिसमें प्रयोगशाला में मानव अंडे और शुक्राणु बनाने के लिए त्वचा या स्टेम कोशिकाओं को आनुवंशिक रूप से पुनः प्रोग्रामिंग करते हैं। HFEA के सीईओ पीटर थॉम्पसन ने मीडिया में दिए बयान में इस तकनीक को ह्यूमन बच्चा पैदा करने में एक क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह तकनीक मानव अंडे और शुक्राणु की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकती है।

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IVG तकनीक के क्या होंगे फायदे?

वैज्ञानिकों के अनुसार अगर यह तकनीक सफल होती है और सुरक्षित, प्रभावी और सामाजिक रूप से स्वीकार्य हो जाती है, तो यह कई लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है। यह उन जोड़ों की मदद कर सकती है जो विभिन्न कारणों से बच्चे पैदा करने में असमर्थ हैं। इसके अलावा, यह समलैंगिक जोड़ों के लिए जैविक बच्चों के सपने को पूरा कर सकती है।

IVG तकनीक के क्या हो सकते हैं नुकसान?

वैज्ञानिकों के अनुसार इस अभूतपूर्व चिकित्सीय पद्धति से कई नैतिक जोखिम होने का भी खतरा हो सकता है। अभी तक की रिचर्स में पता चला है कि बच्चे पैदा करने संबंधी कानूनों में इस नई तकनीक को मान्यता नहीं है। अगर ये नई रिचर्स कामयाब रही तो नियमों में परिवर्तन की भी जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा सवाल उठता है कि क्या इस प्रक्रिया से समाज में परिवार की पारंपरिक अवधारणा बदल जाएगी? इससे आनुवंशिक विकारों का जोखिम भी बढ़ जा सकता है, क्योंकि हर किसी के पास कुछ दोषपूर्ण जीन होते हैं। आम तौर पर, ये समस्याएं पैदा नहीं करते हैं क्योंकि हमें प्रत्येक जीन की दो प्रतियां विरासत में मिलती हैं। एक मां से और एक पिता से। हालांकि, सोलो पेरेंटिंग में दोनों प्रतियां एक ही व्यक्ति से आती हैं, जिससे आनुवंशिक समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है।

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