एक और खतरा! बर्ड फ्लू का भारत में मिला एक और केस, WHO का अलर्ट
Second Case of Bird Flu H9N2 Found In India : देश में बर्ड फ्लू का एक और मामला सामने आया है। इस बार 4 साल का बच्चा इससे संक्रमित हुआ है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इसकी पुष्टि की है। भारत में बर्ड फ्लू यानी एवियन इंफ्लुएंजा A (H9N2) का यह दूसरा केस है। इससे पहले 2019 में ऐसा मामला सामने आया था। उस समय महाराष्ट्र में 17 महीने के बच्चे को बर्ड फ्लू हुआ था। हालांकि अभी जिस बच्चे को बर्ड फ्लू हुआ, यह मामला इसी साल फरवरी का है। इस बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। WHO ने अलर्ट जारी कर बर्ड फ्लू से बचने को कहा है।
पश्चिम बंगाल में आया मामला सामने
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक जिस बच्चे को बर्ड फ्लू हुआ था, वह पश्चिम बंगाल का है। WHO के मुताबिक 26 जनवरी को बच्चे को बुखार और पेट में दर्द हुआ था। 1 फरवरी को उसे स्थानीय अस्पताल के ICU में भर्ती कराया गया। बुखार और पेट दर्द के अलावा उसे सांस लेने में परेशानी भी हो रही थी। जब उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उसकी कई जांच हुईं। अगले दिन जब रिपोर्ट आई तो बच्चे में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई। वह एंफ्लुएंजा B वायरस से पॉजिटिव पाया गया। 3 मार्च को बच्चे की तबीयत ज्यादा खराब हो गई और उसे दूसरे सरकारी अस्पताल में रैफर कर दिया गया जहां उसे ICU में भर्ती कराया गया। 5 मार्च को उसका एक और टेस्ट हुआ जिसका सैंपल कोलकाता वायरस रिसर्च लैब भेजा गया। यहां बच्चे में एंफ्लुएंजा A और रिनो वायरस की पुष्टि हुई। बच्चे का अस्पताल में इलाज जारी रहा।
मई में डिस्चार्ज
WHO ने बताया कि बच्चे को 1 मई को ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। हालांकि बच्चे को कौन सी वैक्सीन और एंटीवायरल दवाइयां दी गईं, इसके बारे में उस समय तक कोई जानकारी मौजूद नहीं थी। बताया जाता है कि बच्चा किसी ऐसे पक्षी के संपर्क में आया था जिसे बर्ड फ्लू वायरस था।
पश्चिम बंगाल में दूसरा मामला सामने आया है।
क्या है H9N2 बर्ड फ्लू
H9N2 एवियन एंफ्लुएंजा वायरस का ही एक प्रकार है जो पक्षियों से फैलता है। वे लोग जो पोल्ट्री फार्म में काम करते हैं, उनमें इस वायरस से संक्रमित होने की ज्यादा आशंका होती है। इस वायरस की चपेट में आने से सांस संबंधित बीमारियां ज्यादा होती हैं। अगर कोई एक पक्षी इसकी चपेट में आ जाए तो इससे पक्षियों का पूरा झुंड ही संक्रमित हो सकता है। वहीं जो इंसान इस वायरस की चपेट में आए पक्षियों या उस जगह के संपर्क में आते हैं, उसमें भी H9N2 का संक्रमण हो सकता है। हालांकि यह वायरस पक्षियों की अपेक्षा इंसानों में कम गति से फैलता है।
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