Sanjauli Masjid पर वक्फ बोर्ड का मालिकाना हक? कोर्ट में कहा, 'चार मंजिल के निर्माण की जानकारी नहीं'
Sanjauli Mosque Case: शिमला के संजौली में बनी मस्जिद में किया गया अवैध निर्माण का मामला बढ़ता जा रहा है। इस मामले पर नगर निगम आयुक्त (MC) सुनील अत्री के कोर्ट में सुनवाई की गई। हालांकि इस केस में सुनवाई के दौरान आयुक्त सुनील अत्री ने जेई को फटकार लगाते हुए सुनवाई को 5 अक्तूबर तक के लिए टाल दिया है। इसके साथ ही वक्फ बोर्ड और जेई को स्टैटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश भी दिए गए हैं। वक्फ बोर्ड का कहना है कि मस्जिद जिस जगह पर बनाई गई है वो उनकी है।
संजौली स्थानीय निवासियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील जगत पाल ने कहा कहा कि उन्हें इस मुद्दे में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि यह पिछले 14 साल से एमसी आयुक्त की अदालत में लंबित था।
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किसने किया 4 मंजिल का निर्माण?
हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड ने शनिवार को शिमला की एक अदालत में कहा कि संजौली कॉलोनी में मस्जिद उसकी जमीन पर है। लेकिन उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि बाकी की चार मंजिलों का निर्माण किसने कराया। इस दौरान यह भी कहा कि मामला मस्जिद की वैधता का नहीं है, बल्कि उसकी जमीन पर पहले से मौजूद ढांचे में जोड़ी गई 4 मंजिलों का है। इस बीच संजौली के कुछ निवासियों ने मामले में एक पक्ष के रूप में शामिल होने की मांग करते हुए एक आवेदन भी दिया। वक्फ बोर्ड और स्थानीय लोगों ने शिमला नगर निगम आयुक्त की अदालत में दलील दी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 5 अक्टूबर तय की है.
वकील जगत पाल ने कहा कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है वह राज्य सरकार के राजस्व विभाग की है और वक्फ बोर्ड अतिक्रमणकारी है। उन्होंने कहा कि 'वक्फ बोर्ड स्वामित्व का कोई सबूत पेश नहीं कर पाया है। वकील ने कहा कि यह कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं था, बस हम चाहते हैं कि अवैध निर्माण और मस्जिद को गिराया जाना चाहिए।'
वक्फ बोर्ड ने क्या कहा?
वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील भूप सिंह ठाकुर ने कहा कि 'उन्हें पहली मंजिल के निर्माण के बारे में पता था, लेकिन इसके अलावा चार मंजिलों का निर्माण किसने कराया, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।' वक्फ बोर्ड ने अदालत से मस्जिद को न गिराने और उसकी निर्माण योजना को मंजूरी देने की भी अपील की। वक्फ बोर्ड के स्टेट ऑफिसर कुतुबुद्दीन अहमद ने दावा किया कि जमीन वक्फ बोर्ड की है। एमसी कमिश्नर कोर्ट ने 2023 में वक्फ बोर्ड को नोटिस भेजा था और उसने पिछली सुनवाई के दौरान जवाब दाखिल किया था। उसके बाद एक और समन जारी किया गया जिसका जवाब इस सुनवाई के दौरान दाखिल किया। आपको बता दें कि इस मामले से जुड़ी यह 45वीं सुनवाई थी।
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