3 नए क्रिमिनल लॉ कौन से, जो एक जुलाई से होंगे लागू, कानून में नजर आएंगे ये बड़े बदलाव
3 Criminal Laws Major Changes: पिछले साल भारत सरकार ने क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बड़े बदलाव करते हुए तीन आपराधिक कानून लागू किए थे। 1860 की आईपीसी को भारतीय न्याय कानून, सीआरपीसी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य संहिता अधिनियम से रिप्लेस किया जाएगा। ये तीनों कानून आगामी 1 जुलाई से लागू हो रहे हैं। इन कानूनों में कई नई धाराएं जुड़ी हैं। खासकर भारतीय नागरिक संहिता लागू होने के बाद अपराधियों की मुसीबत बढ़ने वाली है।
ऊपरी अदालत में नहीं होगी अपील
भारतीय नागरिक संहिता की धारा 417 के तहत कुछ मामलों में सजा मिलने पर अपराधी ऊपरी अदालत के दरवाजे नहीं खटखटा सकेंगे। हाईकोर्ट ने अगर किसी अपराधी को 3 महीने से कम की सजा और 3 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों लगाया है, तो इसे ऊपरी अदालत में चैलेंज नहीं किया जा सकता है। वहीं सेशन कोर्ट के द्वारा तीन महीने से कम की सजा और 200 रुपये का जुर्माना लगाने पर भी ऊपरी अदालत में अपील नहीं की जा सकेगी। साथ ही मजिस्ट्रेस अगर किसी अपराध में 100 रुपये का जुर्माना लगाते हैं तो इसके खिलाफ भी अपराधी ऊपरी अदालत में नहीं जा सकेगा।
कुर्की का कानून हुआ सख्त
भारतीय नागरिक संहिता की धारा 107 के तहत किसी भी अपराधी की संपत्ति जब्त करने और कुर्की के कानून को सख्ती से लागू किया जाएगा। धारा 107 (1) के अंतर्गत आय से अधिक संपत्ति या आपराधिक गतिविधियों से कमाए जाने वाले पैसे को जब्त किया जा सकता है। इसके लिए एसपी और पुलिस कमिश्नर कोर्ट से कुर्की का आदेश ले सकते हैं।
धारा 107 (2) के तहत अदालत अपराधी को कारण बताओ नोटिस जारी करेगी। अपराधी को 14 दिन के भीतर जवाब देना होगा। इसके बाद संपत्ति कुर्क होगी या नहीं, इसका फैसला मजिस्ट्रेट करेंगे। वहीं अगर आरोपी ने 14 दिन के अंदर जवाब नहीं दिया और कोर्ट में पेश नहीं हुआ तो कोर्ट संपत्ति कुर्क करने का आदेश दे सकती है। यही नहीं मजिस्ट्रेट अपराधी की संपत्ति बांटने का भी आदेश दे सकते हैं। यह प्रक्रिया 60 दिन के भीतर पूरी की जाएगी। धारा 107(6) के तहत अगर बांटने के बाद भी अपराधी की संपत्ति बच जाती है और उसका कोई दावेदार नहीं है तो उस संपत्ति पर सरकार का हक होगा।
कैदियों के लिए राहत
भारतीय नागरिक संहिता में कैदियों के लिए भी नए कानून बने हैं। धारा 479 के तहत अगर किसी अंडर ट्रायल कैदी ने अपनी एक तिहाई सजा काट ली है तो उसे जमानत पर रिहाई मिल सकती है। ठीक इसी तरह उम्र कैद की सजा पाए अपराधी को 7 साल की जेल में भी बदला जा सकता है।
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