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'रेगिस्तान से पहाड़ों तक...', भारतीय सेना के लिए क्या-क्या चुनौतियां, कैसे खुद को कर रही अपडेट?

77th Indian Army Day: भारतीय सेना 15 जनवरी को अपना 77वां स्थापना दिवस मना रही है। इस मौके पर मुख्य कार्यक्रम पुणे में आयोजित किया जाएगा। थल सेना इस दशक को (2023-2032) परिवर्तन दशक के तौर पर मना रही है।
09:26 PM Jan 12, 2025 IST | Parmod chaudhary
 रेगिस्तान से पहाड़ों तक      भारतीय सेना के लिए क्या क्या चुनौतियां  कैसे खुद को कर रही अपडेट

Indian Army Day: भारतीय थल सेना 15 जनवरी 2025 को अपना 77वां सेना दिवस मनाने जा रही है। मुख्य कार्यक्रम का आयोजन महाराष्ट्र के पुणे में होगा। इस दौरान परेड में भारतीय सेना की बहादुरी की झलक दिखेगी। पिछले 10 सालों में थल सेना ने साइंस और टेक्नोलॉजी में महत्वपूर्ण प्रगति की है। मेक इन इंडिया के तहत कितनी तरक्की सेना ने की है, इसकी झलक भी सेना दिवस पर दुश्मन देशों को दिखेगी? आपको बता दें कि 2023 को भारतीय सेना ने प्रौद्योगिकी अवशोषण (Technology Absorption) का साल घोषित किया था, लेकिन अब साल 2025 में रक्षा मंत्रालय ने इसे 'सुधारों का वर्ष' घोषित कर दिया है।

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थल सेना के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह 'परिवर्तन के दशक' (2023-2032) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत की रक्षा क्षमताओं (Defense Capabilities) को फिर से डिफाइन करना है। मेजर जनरल एसके सिंह ने न्यूज24 से एक्सक्लूसिव बातचीत की। उनसे पूछा गया कि भारतीय सेना इन हाउस इनोवेशन क्यों चला रही है? इसके जवाब में सिंह ने कहा कि सेना को अलग-अलग अलगाववादी इलाकों में काम करना पड़ता है। हिमालय की बर्फीली ऊंचाइयों से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान और पूर्वोत्तर के जंगलों में सेना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

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समय के साथ खुद को डेवलप कर रही सेना

इसके लिए कई तरह की ट्रेनिंग और नए आर्म्स के साथ खुद को समय के साथ सेना अपडेट कर रही है। युद्ध का स्ट्रक्चर लगातार बदल रहा है। भारतीय सेना को भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने की जरूरत है। हाल के वैश्विक संघर्षों ने स्वदेशी युद्धक्षेत्र समाधानों की आवश्यकता पर जोर दिया है, जिससे भारतीय सेना को न केवल अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने, बल्कि विकसित करने के लिए भी प्रेरित किया गया है।

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भारतीय सेना नए परिवर्तन को कैसे बढ़ावा दे रही है? इस सवाल के जवाब में रिटायर्ड मेजर जनरल अभिनव ने कहा कि इनो-योद्धा सालाना कंपीटीशन का आयोजन 2014 से करवाया जा रहा है। इसमें भारतीय सेना अपनी सालाना गतिविधियों का प्रदर्शन करती है, जिसे 2023 में इनो-योद्धा के तौर पर दोबारा ब्रांड किया गया है। यह पहल सैनिकों में क्षमता की कमी को दूर करने वाले स्वदेशी समाधान प्रदर्शित करने के लिए एक मंच को साझा करती है। सेना को जमीनी स्तर पर विकसित किया जा रहा है। सीमित संसाधनों का इस्तेमाल करके इनो-योद्धा फाइनल में पहुंचते हैं, जहां परिचालन संबंधी कमियों को दूर करने की उनकी क्षमता और तकनीकी विशिष्टता के लिए मूल्यांकन किया जाता है।

साल 2025 के लिए भारतीय सेना का लक्ष्य

  • बेहतर प्रौद्योगिकी साझेदारी को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा जगत, स्टार्टअप और उद्योगों के साथ सहयोग का विस्तार करना।
  • सेना खरीद प्रक्रियाओं और परिचालन को बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय की सुधार योजनाओं के साथ इनोवेशन कर रही है।
  • इनोवेशन को दूसरे रक्षा बलों और अर्धसैनिक संगठनों तक पहुंचाया जा रहा है। विशेष रूप से भारतीय वायु सेना (IAF) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने इलेक्ट्रिसिटी डिफेंस में इनोवेशन को लेकर रुचि दिखाई है।
  • भारतीय सेना का प्रौद्योगिकी अवशोषण और इनोवेशन पर जोर 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में उठाया गया कदम है। स्वदेशी चीजों को बढ़ावा देकर एक मजबूत डिफेंस का निर्माण करना लक्ष्य है।
  • राष्ट्रीय सुधारों के साथ तालमेल बनाकर भारतीय सेना परिचालन क्षमताओं को फिर से मजबूत बना रही है।
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