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लिव इन रिलेशन पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, युवाओं में इस रिश्ते के तय होने चाहिए नियम

Marriage Fraud Case Verdict: लिव इन रिलेशनशिप में रहते हुए भी युवक ने शादी करने से इनकार कर दिया तो महिला थाने पहुंच गई। केस हाईकोर्ट तक पहुंचा और दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट जस्टिस ने रिश्ते पर अहम फैसला सुनाया।
08:21 AM Jan 25, 2025 IST | Khushbu Goyal
लिव इन रिलेशन पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला  युवाओं में इस रिश्ते के तय होने चाहिए नियम
साथ रहने के बावजूद शादी करने से इनकार कर दिया।

High Court Judgement on Live in Relationship: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप पर बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट बेंच ने शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का मामला निपटाया है। बेंच ने दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद फैसला दिया कि बेशक लिव-इन-रिलेशनशिप सामाजिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता है, लेकिन युवाओं में इस रिश्ते के प्रति आकर्षण है। इसलिए अब समय आ गया है कि समाज के नैतिक मूल्यों को बचाने के लिए इस रिश्ते की भी रूपरेखा या नियम तय किए जाने चाहिए।

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जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव ने वाराणसी के आकाश केशरी को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की। केशरी पर शादी का झांसा देकर एक महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने के आरोप लगे थे। भारतीय दंड संहिता और SC/ST एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। केशरी ने महिला से शादी करने से इनकार कर दिया था, इसलिए उसने वाराणसी के सारनाथ पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ शिकायत दी थी।

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मर्जी से साथ रहे और मर्जी से संबंध बने

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी केशरी ने इसी केस में हाईकोर्ट से जमानत मांगी और उसके वकील ने दलील दी कि महिला ने झूठी कहानी बनाई है। वह बालिग थी और केशरी के साथ लिव-इन में मर्जी से रह रही थी। दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी सहमति से बने थे। करीब 6 साल से दोनों लिव इन रिलेशन में रह रहे हैं और इन 6 साल में उसने गर्भपात भी नहीं कराया। केशरी ने महिला से शादी करने का वादा भी नहीं किया था। ऐसे में उसका केशरी पर आरोप लगाना जस्टिफाई नहीं है।

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दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव ने अपना फैसला सुनाया। उन्होंने केशरी को जमानत दे दी और कहा कि ​​लिव-इन रिलेशनशिप को कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं मिली है, लेकिन चूंकि युवा पीढ़ी ऐसे संबंधों की ओर आकर्षित होते हैं। चाहे पुरुष हो या महिला, क्योंकि दोनों अपने साथी के प्रति अपने उत्तरदायित्व से आसानी से बच सकता है, इसलिए ऐसे संबंधों के प्रति उनका आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अब इस रिश्ते की सीमाएं तय करने की जरूरत है।

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कानून नहीं, लेकिन SC ने तय की शर्तें

बता दें कि भारत में लिव-इन-रिलेशनशिप को लेकर संविधान के तहत कोई कानून नहीं बना है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट दे रखा है कि बिना शादी किए लिव इन रिलेशन में रहना कानूनन कोर्ठ अपराध नहीं है, लेकिन इस रिलेशन में रहने वालों की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए और रिलेशन में रहने के लिए दोनों की सहमति होनी चाहिए।

उनके रिश्ते में माता-पिता, दोस्त या रिश्तेदार दखल नहीं दे सकते। लिव इन में रहने वाली महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार मिला हुआ है। इस रिलेशन में रहने के दौरान अगर संबंध बनते हैं तो पैदा होने वाला बच्चा जायज कहलाएगा। इस रिलेशन में रहने वाले लोगों को मांगे जाने पर पुलिस सुरक्षा देगी।

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