तो क्या BJP अध्यक्ष बनेंगी स्मृति ईरानी? पार्टी रच सकती है नया इतिहास
BJP New President: केंद्र में लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अब सभी की नजरें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को लेकर टिकी है। इस साल के अंत तक हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। निवर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी में खत्म हो गया था लेकिन लोकसभा चुनावों के चलते उनका कार्यकाल 6 महीने तक के लिए बढ़ा दिया गया था। ऐसे में अगले कुछ दिनों में भाजपा का नया अध्यक्ष तय हो सकता है।
पार्टी के हलकों में चर्चा है कि इस बार कोई महिला, दलित या ओबीसी समुदाय से आने वाले नेता को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है। ऐसे में अमेठी से चुनाव हारने वाली स्मृति ईरानी का नाम भी आगे चल रहा है। माना जा रहा है कि वह अध्यक्ष पद की दौड़ में बनी हुई हैं। अगर ऐसा होता है तो जनसंघ या बीजेपी के इतिहास में यह पहली बार होगा जब पार्टी की कमान किसी महिला के पास होगी।
इसके अलावा पार्टी का एक धड़ा यह मानकर चल रहा है कि पार्टी इस बार किसी संघ की पृष्ठभूमि वाले नेता को पार्टी अध्यक्ष बना सकती है। हालांकि पिछले कुछ सालों से संघ और बीजेपी के रिश्ते इतने घनिष्ठ नहीं रहे जितने कि पहले के समय में रह चुके हैं। पिछले दिनों लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि शुरुआती दिनों में हमें संघ की जरूरत थी लेकिन अब हम स्वतंत्र है। हम उनके बिना समर्थन के भी आगे बढ़ सकते हैं। उनके इस बयान के बाद देशभर के संघ स्वयंसेवकों ने हैरानी जताई थी।
महाराष्ट्र-हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव
वर्तमान बीजेपी अध्यक्ष एक बार फिर सरकार में वापसी कर चुके हैं। ऐसे में उनकी जगह नया अध्यक्ष का चुनाव जरूरी हो गया है क्योंकि पार्टी की रीति और नीति रही है एक व्यक्ति एक समय में एक ही पद पर काबिज रह सकता है। ऐसे में पार्टी को नया अध्यक्ष मिलना तय है। सूत्रों की मानें तो इस समय पार्टी अध्यक्ष की दौड़ में सुनील बंसल, विनोद तावड़े, बीएल संतोष और अनुराग ठाकुर का सबसे आगे चल रहा है। हालांकि पीएम मोदी अपने फैसलों से सभी को चौंकाते रहे हैं। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि वे अध्यक्ष के तौर पर किसे चुनते हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटें कम होने के बाद एक बार फिर से बीजेपी को लाइफ लाइन की जरूरत है। जो कार्यकर्ताओं में नया जोश जगा सकें। हालांकि लोकसभा चुनाव में सीटें घटने के पीछे की वजहों पर अभी पार्टी का चिंतन जारी है। माीडिया रिपोर्ट की मानें तो कई ऐसे कारण थे जो सीटें कम होने के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं।
इन कारणों का ढूंढना होगा हल
इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कार्यकर्ताओं की नाराजगी, युवाओं का सरकार से मोह भंग होना, भ्रष्ट छवि वाले विपक्षी नेताओं का पार्टी ज्वाॅइन करना, अग्निवीर योजना और विपक्षी नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों की ताबड़तोड़ कार्रवाई। ऐसे में देखना होगा कि ऐसे प्रदेश जहां पार्टी लगभग आधी हो चुकी है वहां वापसी के लिए किसी ऐसे नेता को अध्यक्ष बनाना होगा जो सरकार के खिलाफ बनी एंटी इंकंबेंसी को दूर कर एक बार फिर पार्टी को राज्यों में सत्ता दिला सकें।
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