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वकील ने Atul Subash पर किए सनसनीखेज खुलासे, बोले-डिप्रेशन की खबरें झूठीं

अतुल सुभाष सुसाइड मामले में उनके वकील दिनेश मिश्रा ने इंजीनियर को लेकर कई खुलासे किए हैं। उन्होंने कहा वे कोर्ट के फैसले से संतुष्ट थे और उनकी आखिरी बार जुलाई में अतुल से बात की थी।
09:03 AM Dec 13, 2024 IST | Rakesh Choudhary
वकील ने atul subash पर किए सनसनीखेज खुलासे  बोले डिप्रेशन की खबरें झूठीं
Atul Subhash Suicide Case

Atul Subhash Suicide Case: बेंगलुरु में टेक इंजीनियर सुसाइड मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अब टेक इंजीनियर के वकील ने दावा किया कि उनकी आखिरी मुलाकात जौनपुर में हुई थी। वे पत्नी द्वारा दायर एक मामले में सुनवाई के लिए पहुंचे थे। उस समय वे उदास नहीं थे। इंडिया टुडे से बात करते हुए उनके वकील दिनेश मिश्रा ने बताया कि जौनपुर की फैमिली कोर्ट ने उनको हर महीने 40 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि वे बच्चे के गुजारे भत्ते के लिए 40 हजार रुपये देने को तैयार थे।

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दिनेश मिश्रा ने इंडिया टुडे को बताया कि जौनपुर की अदालत के फैसले का उन्होंने स्वागत किया था। उन्होंने कहा जुलाई में अदालत के फैसले के बाद उनसे ज्यादा बातचीत नहीं हुई। पिछली बार वे जून में यहां आए थे। मैंने जब भी उनसे बात की, वह उदास नहीं दिखे। उन्होंने कहा वे अदालत के किसी भी फैसले का स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा जहां तक भरण पोषण पर फैसले का सवाल है वे इसको लेकर हाईकोर्ट जा सकते थे, लेकिन अतुल ने हमसे ऐसी कोई सलाह नहीं ली। वे भरण पोषण के रुपये को लेकर हाईकोर्ट जा सकते थे।

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कोर्ट में पेश होना न्यायिक प्रकिया का हिस्सा

अतुल सुभाष ने दावा किया कि उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ कई झूठे मामले दर्ज कराए हैं और अपने 4 साल के बेटे के लिए 2 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता की मांग की है। वहीं अतुल सुभाष के यूपी के कोर्ट में पेशी के लिए बार-आर आने के सवाल पर उन्होंने कहा यह एक न्यायिक प्रकिया है और जज भी इससे बंधे होते हैं।

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सुसाइड नोट की बातें जांच का विषय

दिनेश मिश्रा ने कहा अगर उन्होंने सुसाइड नोट में ऐसी बात लिखी हैं तो यह जांच का विषय है। मेरे अनुसार कोर्ट में उनको कोई परेशानी नहीं हुई। अगर कोर्ट की तारीख को लेकर हाईकोर्ट का कोई आदेश है तो उसका पालन होना चाहिए। वहीं वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए पेश होने के सवाल पर वकील ने कहा जौनपुर जिला बहुत समृद्ध नहीं है ऐसे में नियमित मामलों में वर्चुअल सुनवाई करना मुश्किल है।

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