भारत के दुश्मन क्यों बन रहे पड़ोसी मुल्क? कहीं चीन की तो चाल नहीं, समझें पूरा मामला
(पवन मिश्रा, दिल्ली)
India-China News : गलवान की घटना के बाद ड्रैगन यानी चीन शांत नहीं बैठा और उसने बॉर्डर पर हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी थी। इस बार भारत ने शी जिनपिंग को पूरी तरह से सबक सिखाने के लिए मन बना लिया था, जितनी सेना चीन ने बॉर्डर पर भेजी, उससे दोगुनी इंडियन आर्मी और इंडियन एयरफोर्स को लगा दिया गया था। नतीजा यह हुआ था कि चीन को अपने कदम पीछे करने पड़े थे। भले ही कई राउंड की कमांडर लेवल की बातचीत में नतीजा कुछ भी निकल कर नहीं आया। ड्रैगन जब अपने पीएल सेना के जरिये कुछ नहीं कर पाया तो उसने एक प्लान रचना शुरू कर दिया था। वह प्लान था पड़ोसी मुल्क को भारत के खिलाफ खड़ा करने का।
बांग्लादेश में राजनीतिक उथलपुथल के पीछे चीन का हाथ!
पहले से पाकिस्तान भारत का दुश्मन है तो उसने इसमें इजाफा करने की योजना बना डाली। चीन ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान, श्रीलंका और मालदीव जैसे देश को खड़ा करने में सभी हथकंडे को अपनाया और अब इसी लिस्ट में बांग्लादेश का भी नाम जुड़ गया है, जिसका सबूत पाकिस्तानी आर्मी की एक पोस्ट से मिल भी गया है।
कैसे देशों को जाल में फंसाता है चीन?
भारतीय खुफिया एजेंसी की मानें तो बांग्लादेश की इस मौजूदा स्थिति का जिम्मेदार चीन है। मेजर जनरल एसके सिंह के मुताबिक, चीन अपनी स्ट्रैटेजी के तहत जरूरतमंद देशों को भारी भरकम कर्ज देता है। यह कर्ज उस देश के कई बड़े प्रोजेक्ट्स या इन्फ्रास्ट्रक्चर को गिरवी या लीज पर रखवाकर दिया जाता है। इसके बाद तय समय पर अदायगी नहीं होने पर चीन उस पर कब्जा कर लेता है।
कर्ज में डूबा है पाकिस्तान
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने साल 2015 में एक रिपोर्ट जारी की थी। हालांकि, इस रिपोर्ट को मीडिया से साझा नहीं किया गया था, लेकिन जब न्यूज 24 की टीम ने उस रिपोर्ट की पड़ताल की तो आर्मी सूत्रों ने बताया कि चीन और पाकिस्तान के बीच सीईपीसी नाम का एक करार हुआ था और यही समझौता पाकिस्तान की गले की हड्डी बन गया। चीन ने पाकिस्तान के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं। सीपीईसी प्रोजेक्ट का लक्ष्य पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से चीन को सीधे जोड़ना है। आज पाकिस्तान इतना कर्ज में डूब चुका है कि उसे अब कोई भी देश आगे कर्ज देने को तैयार नहीं है, क्योंकि चीन के कर्ज जाल में फंसकर पाकिस्तान बर्बाद हो चुका है।
जानें कैसे कंगाल हुआ था श्रीलंका
रि. कर्नल टीपी त्यागी ने बताया कि श्रीलंका की महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त लोगों ने राष्ट्रपति भवन में घुसकर लूटपाट की थी। गोटबाया को देश छोड़कर भागना पड़ा था। इसके पीछे भी चीन का हाथ था। लगातार बढ़ रहे कर्ज की वजह से उसका विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया था। श्रीलंका पर कर्ज का बहुत बड़ा हिस्सा चीन से लिया गया था। श्रीलंका का हंबनटोटा पोर्ट चीन के इसी कर्ज की भेंट चढ़ गया था।
चीन के जाल में फंसा नेपाल और मालदीव
उन्होंने आगे कहा कि चीन के जाल में फंसने वाला एक और देश मालदीव है। मालदीव की मुइज्जू सरकार को चीन समर्थक माना जाता है। इंडिया आउट के नारे के साथ सत्ता में काबिज हुए मुइज्जू शुरुआत से ही भारत सरकार पर निशाना साधते रहे। रि. कर्नल टीपी त्यागी ने कहा कि नेपाल में भी हाल ही में सत्ता परिवर्तन हुआ है। वहां चीन समर्थक केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। ओली तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने, उन्हें चीन का समर्थक माना जाता है।