100 से ज्यादा की मौत, फिर भी 'मातृभूमि' छोड़ने को तैयार नहीं हिंदू, हिंसा के खिलाफ अमेरिका में भी फूटा गुस्सा
Bangladesh Political Crisis Latest Update: बांग्लादेश में तख्तापलट होने के बाद अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है। बांग्लादेश में खासकर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। आंकड़ों की मानें तो 5 अगस्त 2024 के बाद बांग्लादेश में 232 से ज्यादा लोगों की जाने जा चुकी है। 52 जिलों में 205 हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। इनमें ज्यादातर घटनाएं हिंदुओं के खिलाफ देखने को मिल रही हैं। अब आलम ये है कि हजारों की संख्या में हिंदू सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। बांग्लादेश के अलावा भारत और अमेरिका में भी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का जमकर विरोध किया जा रहा है।
मोहम्मद युनूस ने की अपील
बांग्लादेश की कमान संभालने वाले नोबल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस ने सभी छात्रों से शांति की अपील की है। मोहम्मद युनूस ने बांग्लादेशी विश्वविद्यालय के छात्रों से कहा कि क्या वो (अल्पसंख्यक और हिंदू) हमारे देश के निवासी नहीं हैं? आपने इस देश की रक्षा की है तो क्या आप उन परिवारों की सुरक्षा नहीं कर सकते हैं? वो भी हमारे भाई हैं। हम साथ लड़े हैं और साथ मिलकर रहेंगे।
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बांग्लादेश में हिंदू हुए एकजुट
बांग्लादेश में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के खिलाफ हिंदू समेत तमाम अल्पसंख्यकों ने भी आवाज बुलंद कर ली है। हिंदुओं ने साथ मिलकर रैली का आयोजन किया है। उनका कहना है कि ये हमारी मिट्टी है। बांग्लादेश हमारी मातृभूमि है और हम इसे कभी नहीं छोड़ेंगे। इन रैलियों में बांग्लादेशी हिंदू समाज की रक्षा करो जैसे नारे भी सुनाई दे रहे हैं। साथ ही कई लोग जय श्री राम के नारे लगाते भी दिखाई दे रहे हैं। बांग्लादेशी हिंदू मंदिर तोड़े जाने और लड़कियों को निशाना बनाए जाने से काफी नाराज हैं।
अमेरिका में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन
बता दें कि बांग्लादेश में 100 से ज्यादा हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों की मौत की खबर सामने आई है। इसे लेकर दुनियाभर में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। इस लिस्ट में एक नाम अमेरिका का भी शामिल है। रविवार की सुबह हस्टन के शुगर लैंड सिटी हॉल में लगभग 300 लोगों की भीड़ मौजूद थी। इन प्रदर्शनकारियों में भारतीय मूल के अमेरिकी और बांग्लादेशी मूल के नागरिक शामिल थे। सभी अमेरिकी सरकार से एक्शन लेने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि अमेरिकी सरकार बांग्लादेशी अल्पसंख्यक को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए।
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