स्टार्टअप कंपनी ने 80% कर्मचारियों को झटके में किया बाहर, Reddit पर छलका यूजर का दर्द
Startup removed 80% Employees: प्राइवेट कंपनी द्वारा कर्मचारियों को अचानक नौकरी से निकाल देना कोई नई बात नहीं है, मगर बेंगलुरु की एक कंपनी ने अपने 80 फीसदी कर्मचारियों को एक साथ बाहर का रास्ता दिखा दिया है। आलम यह है कि कर्मचारियों को एक-दूसरे से गुडबाय कहने का चांस भी नहीं मिला। यह खुलासा एक Reddit यूजर ने अपनी पोस्ट में किया है। इतने बड़े लेवल पर छंटनी की बात सुनकर हर कोई हैरान है।
Reddit यूजर ने लिखा पोस्ट
Reddit यूजर ने पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि मेरे बॉस को 2 बच्चे पालने हैं। एक अन्य सहकर्मी ने नया घर खरीदा है, जिसकी किस्त भरने के लिए नौकरी करना जरूरी है। एक सहकर्मी की कुछ दिन पहले शादी हुई है, मगर सभी को काम से निकाल दिया गया है। हालांकि पोस्ट शेयर करने वाला यूजर अभी भी उसी कंपनी में काम कर रहा है और उसे जॉब से नहीं निकाला गया है।
यूजर का दर्द कुछ इस तरह छलका
Reddit यूजर ने दावा किया कि वह अपने काम को लेकर बिल्कुल सीरियस नहीं था, फिर भी उसे काम से नहीं निकाला गया। वह काम में ढिलाई बरतता है। दोपहर में लंच करने के लिए 1 घंटे से अधिक समय तक बाहर रहता है। हफ्ते में 3 दिन ऑफिस आना जरूरी है, मगर उसका जब मन करता है, तब ऑफिस आता है। वह आजतक कभी समय पर ऑफिस नहीं पहुंचा, मगर इतने सारे लोगों को एक-साथ निकालना पागलपन है। यह सब देखकर उसे तनाव महसूस हो रहा है।
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2020 में बनी थी कंपनी
बता दें कि 80 प्रतिशत कर्मचारियों को निकालने वाली इस कंपनी का नाम रेशामंडी है। यह बेंगलुरु बेस्ड स्टार्टअप कंपनी थी, मगर फंड की कमी के कारण कंपनी ने कर्मचारियों को बर्खास्त करने का फैसला ले लिया। पिछले साल से कंपनी को काफी नुकसान हो रहा था। आंकड़ों की मानें तो जनवरी 2023 की शुरुआत में 500 कर्मचारी इस कंपनी में कार्यरत थे, मगर साल के अंत तक महज 100 कर्मचारी बचे हैं।
300 कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी
रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी से निकाले गए 300 कर्मचारियों को अभी तक उनका बकाया पैसा नहीं मिला है। रेशांडी के घाटे में जाने की वजह तेजी से विस्तार करना बताया जा रहा है। रेशामंडी कंपनी की नींव 2020 में रखी गई थी।
इसमें 40 मिलियन डॉलर का निवेश हुआ था, मगर अब कंपनी 300 करोड़ के कर्ज में डूब गई है। शुरुआत में सफलता हासिल करने के बाद कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा और अंत में कर्मचारियों को बिना सैलरी दिए काम से निकाल दिया गया।